(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बिहार में शुरू हुई प्रेशर पॉलिटिक्स, बीजेपी सांसद ने नीतीश से की शराबबंदी क़ानून में ढील देने की मांग
शराबबंदी को नीतीश कुमार अपनी सबसे बड़ी कामयाबी बताते रहे हैं. वे तो देश भर में शराब पर बैन लगाने की मांग करते रहे हैं.
पटना: बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने बिहार में शराबबंदी क़ानून में बदलाव की मांग की है. उन्होंने नीतीश कुमार से इस पर विचार करने को कहा है. दूबे झारखंड में गोड्डा से बीजेपी के लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि शराबबंदी से बिहार को हज़ारों करोड़ का नुक़सान हो रहा है. जबकि पीने और पिलाने वाले पड़ोसी राज्यों यूपी और बंगाल चले जाते हैं. दूबे का मानना है कि शराबबंदी से बिहार का पर्यटन और होटल उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार बढ़ा है. आपको बता दें कि राज्य में हुए चुनाव में शराबबंदी बड़ा मुद्दा रहा है. इसके बहाने विपक्षों नीतीश सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए. जबकि शराबबंदी को नीतीश कुमार अपनी सबसे बड़ी कामयाबी बताते रहे हैं. वे तो देश भर में शराब पर बैन लगाने की मांग करते रहे हैं. लेकिन पहली बार इसके ख़िलाफ़ घर से आवाज उठी है. अब तो बीजेपी सांसद भी नीतीश से फ़ैसले में बदलाव की अपील कर रहे हैं.
बिहार में शराबबंदी तब हुई, जब लालू यादव और नीतीश कुमार साथ थे. ये बात 1 अप्रैल 2016 की है. नीतीश कुमार पिछला चुनाव शराब बंद कराने के मुद्दे पर लड़े थे. उन्हें भारी जन समर्थन मिला. सरकार बनी तो उन्होंने शराब के सेवन, बनाने और बेचने पर पूरी तरह से रोक लगा दी. शुरूआत में क़ानून बहुत कड़ा था. शराब पीकर पकड़े जाने पर दस लाख रूपये तक का जुर्माना और दस साल तक के जेल की सजा थी. किसी घर से शराब पकड़े जाने पर पूरे परिवार को जेल भेज दिया जाता था. देखते ही देखते बिहार में 2 लाख लोग जेल भेज दिए गए. राज्य भर में हाहाकार मच गया. होटल से शराब बरामद होने पर उसे सील कर दिया जाता था.
शराबबंदी क़ानून का दुरूपयोग जारी
शराबबंदी के नाम पर बिहार के पुलिस वालों ने लूट खसोट शुरू कर दी. जो भी शराब ज़ब्त होती थी, उसे ब्लैक मार्केट में बेच दिया जाता था. पटना के एक थाने से बरामद की गई शराब ग़ायब हो गई. तो पुलिस ने कहा कि चूहे शराब पी गए. इस बात पर बड़ा बवाल हुआ. अब हालत ये है कि शराबबंदी के बाद भी मार्केट में मंहगे दाम पर हर तरह के ब्रांड मिल जाते हैं. कुछ लोग तो होम डिलीवरी भी कराने लगे हैं. शराब की तस्करी बड़ा कारोबार बन गया है. नेता से लेकर पुलिसवाले तक मालामाल हो रहे हैं.
जबकि शराब पर बैन इस नीयत से लगाई गई थी कि घर परिवार ठीक रहेगा. नशे की आदत छूटेगी. लोगों के पास पैसा बचेगा. लेकिन उसका ठीक उल्टा होने लगा. तरह तरह की शिकायतों के बाद नीतीश सरकार ने क़ानून में कुछ बदलाव किए. ये बात 2018 की है. पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर पचास हज़ार का जुर्माना और जुर्माना न भरने पर तीन साल के जेल की सजा की गई. लेकिन शराबबंदी क़ानून का दुरूपयोग जारी है. अब हालत ये है कि घर घर में चोरी छिपे शराब बेची और पी जा रही है.
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