बिहारः मधुबनी का प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्र बना गोशाला, मरीजों की जगह दिख रहे पशु और दवा की जगह गोबर
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 20 वर्षों से चल रहा गोशाला, सर्दी-जुकाम के लिए भी प्राइवेट डॉक्टर का सहारा.कई कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में खुद कर रहे अपना इलाज, पंचायत की आबादी 9 हजार के करीब.
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मधुबनी: बिहार में हर दिन किसी ना किसी जिले से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं जिससे स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल रही है. कहीं एंबुलेंस की जगह लोग मरीज को ठेला पर ले जा रहे हैं तो कहीं स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका है. ताजा मामला मधुबनी जिले के खुजौली प्रखंड की सुक्की पंचायत के सुक्की गांव का है. यहां स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन यहां मरीजों की जगह जानवरों को रखा गया है.
बताया जा रहा कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 20 वर्षों से गोशाला चल रहा है. यहां दवाई की जगह इंसानों को गोबर देखने को मिलता है. गांव की स्थिति ऐसी है कि लोग छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी प्राइवेट क्लीनिक के भरोसे रहते हैं. यहां अगर स्वास्थ्य कैंप लगता भी है तो इसकी जानकारी लोगों तक पहुंच नहीं पाती है. सर्दी और जुकाम के लिए भी व्यवस्था नहीं है.
भगवान भरोसे जी रहे हैं सुक्की पंचायत के ग्रामीण
इस गांव की आबादी करीब चार हजार के आसपास है. यहां कई लोग छोटी-छोटी बीमारियों से अभी भी परेशान हैं. कई लोग तो ऐसे भी हैं जो कोरोना के शिकार हो चुके हैं और होम आइसोलेशन में ही रहकर अपने खर्च से इलाज कर रहे हैं. लोगों ने कहा कि पंचायत की आबादी करीब नौ हजार के आसापास है. यहां स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे ही चल रहा है.
पीएचसी प्रभारी ज्योतेंद्र नारायण ने कहा कि सुक्की उप स्वास्थ्य केंद्र पर एनएम मंजुला कुमारी प्रतिनियुक्त है, लेकिन अभी कोरोना को लेकर सभी उप स्वास्थ्य केंद्र सेवा बंद है. किराए के मकान में उपस्वास्थ्य केंद्र का संचालन हो रहा है. वहां मकान मालिक ने शायद अपना मवेशी का सामान रख लिया होगा. हालांकि मीडियाकर्मियों की आवाजाही के बाद उपस्वास्थ्य केंद्र का एक बोर्ड दूसरे घर में लगा दिया गया.
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