विवादों से घिरे रहने वाले राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान के अच्छे रहेंगे सीएम से संबंध? JDU ने दिया जवाब
Bihar New Governor: राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान के बिहार आने से अब राजनीति का बाजार भी गर्म हो गया है, क्योंकि आरिफ खान को वैसे समय में बिहार में आए हैं, जब नीतीश कुमार बीजेपी से नाराज चल रहे हैं.
Governor Mohammad Arif Khan: बिहार में महामहिम राज्यपाल की अदला बदली हो गई है अब केरल के राज्यपाल रहे मोहम्मद आरिफ खान (Mohammad Arif Khan) को बिहार का नया राज्यपाल बनाया गया है. तो वहीं वर्तमान समय में बिहार के राज्यपाल रहे विश्वनाथ आर्लेकर को केरल का राज्यपाल बनाया गया है.
आरिफ खान के बिहार आने से राजनीतिक बाजार गर्म
नए राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान के बिहार आने से अब राजनीती का बाजार भी गर्म हो गया है, क्योंकि मोहम्मद आरिफ खान वैसे समय में बिहार में आए हैं, जब ऐसी चर्चा चल रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. मो. आरिफ खान का रिकॉर्ड रहा है कि उनकी राज्य सरकार से बनती नहीं है. हमेशा विवाद होता रहता है. पूर्व में केरल में भी मोहम्मद आरिफ और राज्य सरकार के बीच खूब तनातनी हुई थी और कई मामलों में विवाद हुए थे. उन पर संघ को समर्थन करने का भी आरोप लग गया था तो क्या अब नीतीश कुमार से उनकी सहमति बनेगी?
हालांकि जेडीयू ने साफ कर दिया है कि केरल वाली स्थिति बिहार में नहीं होने वाली है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि महामहिम का बदलाव केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है और संवैधानिक संस्था का सम्मान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली रही है. केंद्र में चाहे पक्ष की सरकार रही या विपक्ष की सरकार रही, 19 वर्ष तक ट्रैक रिकॉर्ड है कि संवैधानिक पद से कभी टकराव की राजनीति का संस्कार नीतीश कुमार का नहीं रहा है. उनका सम्मान का रिकॉर्ड रहा है और यह उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है .कौन महामहिम आते हैं नहीं आते हैं यह उनके विषय है.
केरल सरकार और महामहिम के बीच रहे विवाद
मोहम्मद आरिफ खान के बारे में बताया जाता है कि 2019 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया था उसके बाद से राज्य सरकार और महामहिम के बीच विवाद होता रहा है .चाहे कुलपति की नियुक्ति का मामला हो या धक्का मुक्की का भी मामला. आरिफ़ मोहम्मद ख़ान केरल में सत्ताधारी सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ़्रंट के लिए ऐसा कांटा बन गए थे कि सीपीएम ने तमिलनाडु में डीएमके की सरकार के साथ मिलकर रणनीति बनानी शुरू कर दी थी.
उस समय सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने उन पर संघ की तरफ से बोलने का आरोप भी लगाया था सीएए से लेकर कृषि कानून तक जब जब राज्यपाल ने केंद्र का पक्ष लिया माकपा ने उन्हें संघ परिवार और बाम मोर्चा का संघर्ष बताया था. अब बिहार में नीतीश कुमार से कैसी बनती है वह देखना होगा.
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