Bihar Bridges Collapse: बिहार में निर्माणाधीन निर्मित पुलों के गिरने और धंसने का सिलसिला जारी है. पिछले 12 दिनों में 6 पुल कहीं गिर गए हैं तो कहीं धंस गए हैं. अररिया, किशनगंज, मधुबनी, सीवान, और पूर्वी चंपारण में यह घटनाएं हुई हैं. आए दिन हो रहे इन हादसों से निर्माण व मरम्मत कार्य पर सवाल उठ रहे हैं. संवेदक पर कार्रवाई की मांग की जा रही है. तमाम मामलों में जांच भी चल रही है.
18 जून को अररिया में गिरा पहला पुल
सबसे पहले 18 जून को अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बन रहा एक निर्माणाधीन पुल गिरा था. यह पुल सिकटी और कुर्साकांटा को जोड़ने के लिए बन रहा है. इस पुल के 3 पिलर नदी में धंस गये. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कारण बकरा नदी का जलस्तर बढ़ जाने से पुल दबाव झेल नहीं पाया व गिर गया. 2011 में करीब 13 करोड़ की लागत से बकरा नदी पर यह पुल बनना शुरू हुआ था.
पुल बनाने की जिम्मेदारी बिहार पुल निगम के पास थी. पुल करीब 180 मीटर लंबा है. 18 जून को पुल गिरने के बाद ग्रामीण कार्य विभाग की 5 सदस्यीय टीम ने घटनास्थल का दौरा किया था. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि घटिया सामग्री का इस्तेमाल पुल के निर्माण में हुआ है. इस कारण पुल भरभराकर गिर गया.
22 जून को सिवान में दूसरा पुल ढहा
22 जून को सिवान में एक पुल ढह गया. यह पुल करीब 33 साल पुराना था. यह पुल दरौंदा और महाराजगंज ब्लॉक के गांवों को जोड़ने वाली नहर पर बना था. स्थानीय अधिकारियों द्वारा बताया गया कि नहर से पानी छोड़े जाने पर पुल के खंभे ढह गए इसलिये पुल गिर गया. यह 20 फीट लंबा पुल था. विधायक निधि से पुल बना था. स्थानीय लोगों के अनुसार नहर की सफाई के दौरान मिट्टी की कटाई की वजह से पुल कमजोर हो गया था व समय पर मरम्मत कार्य नहीं हुआ.
तीसरा पुल 23 जून को मोतिहारी में गिरा
वहीं 23 जून को मोतिहारी के घोड़ासहन में निर्माणाधीन पुल गिर गया. यह पुल करीब 2 करोड़ की लागत से बन रहा है. पुल की लंबाई करीब 80 फीट है. पुल निर्माण का टेंडर धीरेन्द्र कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था.
पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग के जिम्मे है. जानकारी के अनुसार 22 जून को पुल की ढलाई हुई थी व अगले दिन यह गिर गया. आरोप लग रहा है कि सरिया मानक के अनुरूप नहीं लगाया गया. साथ ही घटिया सीमेंट का प्रयोग किया जा रहा था.
26 जून को किशनगंज में गिरा चौथा पुल
इसके बाद 26 जून को किशनगंज में मरिया नदी पर बना पुल धंस गया. 2010 में मुख्यमंत्री सेतु योजना के तहत ईंट से यह पुल बना था. हादसे पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि बहादुरगंज के गुआबाड़ी के पास ये पुल मूसलाधार बारिश के चलते धंस गया. पानी के तेज बहाव का दबाव पुल सह नहीं पाया और इसके सात पायों में से बीच के दो पाये दो फीट तक जबकि एक पाया एक फीट धंस गया. करीब 25 लाख रुपये की लागत से 70 मीटर लंबा व 12 मीटर चौड़ा यह पुल बनाया गया था.
मरिया नदी पर गुआबाडी पंचायत के बांसबाडी श्रवण चौक के पास बना यह पुल दिघलबैंक प्रखंड को बहादुरगंज होते हुए एनएच 327 ई को जोड़ता है. हादसे के बाद ग्रामीण कार्य विभाग का टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले 2 साल से जर्जर अवस्था में यह पुल था. लगातार शिकायत करने के बाद भी मरम्मत नहीं हुआ.
मधुबनी में पांचवी घटना, पुल का गर्डर गिरा
28 जून को मधुबनी में एक निर्माणाधीन पुल का गर्डर गिर गया. पिछले 4 वर्षों से पुल बन रहा है. भेजा कोसी बांध चौक से महपतिया मुख्य सड़क पर ललवारही के पास भुतही बलान नदी पर पुल का निर्माण करवाया जा रहा है. 26 जून को गर्डर की ढलाई हुई थी. पुल की लंबाई करीब 75 मीटर है. बताया जा रहा है कि गर्डर के लिए शटरिंग बनाया गया था. भुतही बलान नदी में पानी आने से शटरिंग पानी में बह जाने से गर्डर गिरा है.
पुल का निर्माण करीब 3 करोड़ की लागत से हो रहा है. ग्रामीण विकास विभाग के जिम्मे यह पुल है. ग्रामीणों का कहना है कि इस पुल का निर्माण कार्य 4 वर्षों से चल रहा है लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया. लोग पुल निर्माण में अनियमितता का भी आरोप लगा रहे हैं.
किशनगंज में 30 जून को छठा पुल धंसा
वहीं किशनगंज में 30 जून को एक और पुल धंस गया. पथरिया के खोसीडांगी गांव के पास बूंद नदी पर बने इस पुल का का 2 स्पेन करीब धंस गया है. तेज बारिश के बाद नदी का जलस्तर बढ़ गया जिससे बूंद नदी पर बना पुल का पिलर करीब एक फुट धंस गया है. पुल 30 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा है. वर्ष 2008 में इस पुल का निर्माण हुआ था. 50 लाख की लागत से पुल का निर्माण हुआ था. सांसद कोष से पुल बनाया गया था. राजद के तत्कालीन सांसद दिवंगत तस्लीमुद्दीन के फंड से बना था.
यह पुल चार पंचायतों को जोड़ता है. पुल धराशायी हो गया तो करीब 60 हजार आबादी प्रभावित होगी. पुल के धंसने पर स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि बालू लदे ओवरलोड वाहनों से बालू की ढुलाई होती थी जिससे पुल कमजोर पड़ गया व धंस गया. साथ ही पुल के समीप खनन माफिया द्वारा अवैध रूप से बालू का खनन भी किया जाता था. ग्रामीण कार्य विभाग के अंडर में यह है.
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