पटना: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी के एक बयान को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है. क्या पक्ष और क्या विपक्ष सभी दल इस मुद्दे पर एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं और राहुल गांधी के इस बयान की निंदा कर रहे हैं. जहां एक तरफ बिहार में कांग्रेस का सहयोगी रहे आरजेडी ने राहुल के इस बयान को बचकाना बताया है, वहीं जेडीयू ने राहुल गांधी पर तंस कसते हुए कांग्रेस एक नेतृत्व विहीन पार्टी बन गई है.
दरअसल, चुनावों में मिल रही हार को लेकर कांग्रेस ने राजस्थान के उदयपुर में तीन दिन के चिंतन शिविर का आयोजन किया है. इसमें पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया है, जिसके आखिरी दिन रविवार को राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ये लड़ाई रीजनल पार्टी नहीं लड़ सकती है, क्योंकि ये विचारधारा की लड़ाई है. आरएसएस की विचारधारा कांग्रेस की विचारधारा से लड़ रही है. बीजेपी कांग्रेस की बात करती है, लेकिन रीजनल पार्टी की बात नहीं करेगी. क्योंकि वो जानते हैं कि रीजनल पार्टी की जगह है, लेकिन वो बीजेपी को नहीं हरा सकते हैं. क्योंकि उनके पास विचारधारा नहीं है. इसीलिए ये आसान लड़ाई नहीं है.
BJP को हराने के लिए क्षेत्रीय दलों का सहयोग महत्वपूर्ण
इसपर आरजेडी के विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी ने कहा कि राहुल गांधी का यह कथन आंशिक तौर पर सही है, परंतु राहुल गांधी को यह समझने की जरूरत है कि देश में लगभग 200 सीटों पर कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टी के भरोसे ही रहना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल इन सभी राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी के बदौलत ही वे सरकार बना सकते हैं. ऐसे में राहुल गांधी का बचकाना बयान है. इस बयान से भाजपा को और मजबूती मिलेगी. अभी के समय में भाजपा काफी मजबूत है. उसे परास्त करने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों के सहयोग के बिना कांग्रेस पार्टी कुछ भी नहीं कर सकती है.
चिंतन शिविर में अपनी पार्टी की चिंता करें राहुल गांधी
वहीं, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कांग्रेस नेतृत्व विहीन पार्टी बनती जा रही है. यही वजह है कि देश के अधिकांश प्रदेशों में कांग्रेस पूरी तरह कमजोर हो चुकी है. ऐसे में राहुल गांधी क्षेत्रीय पार्टियों पर कटाक्ष कर रहे हैं, जो हास्यास्पद है. राहुल गांधी को अपने चिंतन शिविर में यह सोचने की जरूरत है कि कैसे उनकी पार्टी मजबूत हो. कांग्रेस की विचारधारा कमजोर हो गई है. एक तरफ राहुल गांधी क्षेत्रीय पार्टी पर कटाक्ष करते हैं और दूसरी और बिहार में क्षेत्रीय पार्टी के पिछलगु बने हुए हैं. परिवारवाद की पार्टी का यही हश्र होता है.
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