दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिला स्थित ऐतिहासिक राज किले पर मंगलवार को 59 साल बाद तिरंगा फहराया गया. महाराजा रामेश्वर सिंह के पौत्र और कुमार शुभेश्वर सिंह के छोटे बेटे कुमार कपिलेश्वर सिंह ने राज किला पर ध्वजारोहण किया. इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग वहां उपस्थित रहे. झंडोत्तोलन के बाद कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि 59 साल बाद उन्होंने राज किला पर ध्वजारोहण किया.


आखिरी बार 1962 में किया गया था झंडोत्तोलन


उन्होंने बताया कि वे झंडोत्तोलन के लिए खास तौर पर दिल्ली से दरभंगा आए हैं. उन्होंने कहा कि राज परिवार की ओर से आखिरी बार इस राज किले पर साल 1962 में ध्वजारोहण किया गया था. आज वर्षों बाद फिर से यहां तिरंगा फहराया गया. कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि राज परिवार सदियों से मिथिलांचल के जनमानस के विकास कार्यों के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा रहा है औरआगे भी रहेगा.


लाल किले से मिलता जुलता है दरभंगा किला


इस दौरान उन्होंने कहा कि एक प्रतिष्ठित पर्यटन स्थल होने के बावजूद दरभंगा किला के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. बता दें कि दरभंगा किला नई दिल्ली के लाल किला से मिलता-जुलता है. इसके लिए विशेष लोहे की सीढ़ी खड़ी की गई है और तिरंगा फहराने के लिए किले के प्रवेश द्वार से सिरे पर पहुंचने के लिए नवीनतम हाइड्रोलिक उपकरण का उपयोग किया गया है.


बहुत कम लोगों को जानकारी है कि दरभंगा महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह संविधान सभा के सदस्य के रूप में भी कार्यरत थे. उनके द्वारा ही दरभंगा राज किला का निर्माण कराया गया जो लाल किले के तर्ज पर ही बना है और किले की दीवारें लाल किले से भी ज्यादा ऊंची हैं.


राज परिवार के पास है हस्तलिखित संविधान


आपको बता दें कि भारतीय संविधान की मूल प्रति आज भी राज परिवार के पास मौजूद है, जो हाथ से लिखी हुई है. इसमें संविधान बनाने वाले कुछ लोगों के हस्‍ताक्षर हैं. साथ ही भारतीय संविधान सभा के सदस्‍य और दरभंगा के महाराजा कामेश्‍वर सिंह और वर्तमान झारखंड के नेता जयपाल सिंह के हस्‍ताक्षर भी देखे जा सकते हैं.


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