जहानाबाद के राजेश रंजन ने UPSC में लहराया परचम, इंजीनियर की नौकरी छोड़कर शुरू की थी तैयारी
बीटेक की डिग्री लेने के बाद राजेश ने दो सालों तक मारुति सुजुकी में बतौर इंजीनियर काम किया. लेकिन सिविल सेवा में जाना उनका सपना था. ऐसे में अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी.
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जहानाबाद: कभी घोर नक्सल प्रभावित इलाका के रूप में जानें जाने वाला जहानाबाद अब प्रतिभाओं की भूमि बनता जा रहा है. यूपीएससी की परीक्षा में पिछले दो सालों से इस जिले के लड़के-लड़कियां सफलता का परचम फहरा रहे हैं. पिछले साल जहानाबाद की डॉ. हर्षा प्रियंवदा ने 165वां और विनीत कुमार ने 442वां रैंक लाकर जिले का नाम रौशन किया था. वहीं, इस साल जहानाबाद के लाल राजेश रंजन ने यूपीएससी (Union Public Service Commission) की परीक्षा में 512वां रैंक पाकर जिले का नाम रौशन किया है.
पिछले साल बीपीएसी किया था क्रेक
शहर के वर विगहा गांव के रहने वाले वित्त रहित रिटायर्ड टीचर सुरेश प्रसाद और गृहणी मालती के बेटे राजेश रंजन ने साबित किया है कि मेहनत रंग लाती है. राजेश ने पहले ही अटेम्प्ट में बीपीएससी (BPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल की थी. वे बचपन से ही मेधावी छात्र थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा जहानाबाद के मानस इंटरनेशनल और बाल विद्या निकेतन स्कूल से हुई. दसवीं में उन्होंने 9.6 सीजीपीए प्राप्त किया था. राजेश ने संत माइकल स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की. इसके बाद एनआईटी राउरकेला (NIT Rourkela) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक (B.Tech) की डिग्री हासिल.
छोड़ दी थी इंजीनियर की नौकरी
बीटेक की डिग्री लेने के बाद राजेश ने दो सालों तक मारुति सुजुकी में बतौर इंजीनियर काम किया. लेकिन सिविल सेवा में जाना उनका सपना था. मां मालती देवी और भाई राजीव रंजन बताते हैं कि राजेश ने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. अपने प्रथम प्रयास में ही उन्होंने बीपीएससी में 231वां रैंक हासिल किया था. अब यूपीएससी में पूरे भारत में 512वां रैंक हासिल कर जिले का नाम रौशन किया है.
परिजनों जो दिया सफलता का श्रेय
राजेश फिलवक्त दिल्ली में है और उन्होंने मोबाइल पर बातचीत करते हुए इस सफलता में माता-पिता और परिजनों के साथ साथ बड़े भाई राजीव रंजन को दिया. राजेश का सपना बतौर एक सिविल सर्वेंट बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में काफी अहम बदलाव लाने का है. राजेश के बड़े भाई ने बताया कि यह सफलता छोटे भाई को कठिन परिश्रम और लगन से मिली है. राजेश रंजन की इस सफलता से घर में उत्सव का माहौल है. परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है. वे आस पास में मिठाईयां बांट रहें हैं.
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