दरभंगा: अपनी ही पार्टी में उपेक्षा से पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी (Rajiv Pratap Rudy) नाराज हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया है कि कुछ लोग कहेंगे कि वो बीजेपी के एजेंडा से बाहर चल रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी रविवार को दरभंगा में आयोजित 'दृष्टि बिहार एजेंडा 2025' के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उनका मंच से ही दर्द छलका.


लहेरियासराय के पोलो मैदान ऑडिटोरियम में विजन बिहार, एजेंडा - 2025 का आयोजन हो रहा था. रूडी ने कहा कि जिस मंच से आज वह भाषण दे रहे हैं उसी जगह 28 और 29 जनवरी को बीजेपी कार्यसमिति की बैठक थी. वे भी उस कार्यक्रम में पहुंचे थे लेकिन उन्हें मंच पर नहीं बुलाया गया. वे भी दर्शक दीर्घा में बैठ रहे और सभी नेताओं का भाषण सुनकर चले गए.






'हमारा आपका महत्व कहां रह गया?'


कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान राजीव प्रताप रूडी ने अपनी दिल की बात बता दी. कहा- "28-29 जनवरी को कार्यसमिति की बैठक थी, लेकिन उस मंच पर मुझे नहीं बुलाया गया था. इस बात से कोई तकलीफ नहीं है. तकलीफ होनी भी नहीं चाहिए क्योंकि हमारा और आपका महत्व कहां रह गया है. कोई क्यों अब आपको बुलाएगा. आप तो ऐसी ही अवेलेबल हैं न. आपका नोटिस कौन ले रहा है, आप तो एवेलेबल हैं."


बीजेपी सांसद ने कहा कि आपको तो किसी के साथ-साथ चलना है. आप सीढ़ी लगा दीजिएगा वह चढ़कर ऊपर चला जाएगा और सीढ़ी को मारकर नीचे फेंक देगा. आप वहीं रह जाइएगा. आपका तो काम ही वही है. इससे ज्यादा तो आपका काम नहीं है और दिखता भी नहीं है. कोई पूछेगा तो बोलिएगा कि रूडी वास्तव में नरेंद्र मोदी के असल सिपाही हैं. आगे कहा कि वह तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे हैं और आज भी वह इतिहास दिख रहा है जो उन्होंने वहां पर कर दिखाया है. मोदी सरकार में भी मंत्री रहे हैं लेकिन मन उससे नहीं मान रहा था.


आगे है बिहारी फिर भी बिहार पिछड़ा क्यों?


पूर्व केंद्रीय मंत्री रूडी ने कहा कि बिहार के लोग देश ही नहीं विदेशों में भी अपने टैलेंट का जलवा बिखेर रहे हैं. हर क्षेत्र में बिहारी आगे है, पर बिहार पीछे है, ऐसा क्यों? नीति आयोग के आंकड़ों में बिहार की भयावह तस्वीर दिखाई पड़ती है.  बिहार से बाहर कार्यरत चार करोड़ बिहारी लगभग तीन लाख 36 हजार करोड़ रुपया बिहार भेजते हैं. उचित माहौल हो तो वे अपने राज्य में ही करोड़ो की आमदनी करते. साथ ही रोजगार सृजन भी होता.


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