पटना: बिहार में राज्यसभा की रिक्त होने वाली छह सीटों पर चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. चुनाव को लेकर दल और प्रत्याशी अब जोड़तोड़ में भी जुट गए हैं. इस चुनाव में कांग्रेस जहां सहयोगियों के भरोसे है वहीं तय माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी को लाभ होगा. बिहार से जिन राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उसमें आरजेडी के मनोज कुमार झा और अहमद अशफाक करीम, जदयू के अनिल प्रसाद हेगड़े और वशिष्ठ नारायण सिंह, बीजेपी के सुशील कुमार मोदी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह शामिल हैं.
क्या कहता है अंक गणित?
विधानसभा के अंक गणित के हिसाब से देखें तो बीजेपी को इस चुनाव में फायदा होना तय है, जबकि वाम दलों और कांग्रेस को सहयोगियों के सहारे रहना होगा. जेडीयू की तरफ से अब तक कोई नाम सामने नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि जेडीयू कोई चौंकाने वाला नाम सामने कर सकता है.
बीजेपी के सूत्रों की मानें तो प्रदेश कोर कमेटी ने केंद्रीय कमेटी को संभावित नामों की सूची दे दी है. बताया जाता है कि केंद्रीय कमेटी जल्द ही नामों की घोषणा कर सकती है. विधानसभा में अंक गणित के आधार पर आरजेडी भी इस चुनाव में दो उम्मीदवार को फिर से राज्यसभा भेज सकता है. वैसे प्रत्याशियों की घोषणा अब तक नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि मनोज कुमार झा फिर से राज्यसभा भेजे जा सकते हैं. कई अन्य नामों की भी चर्चा की जा रही है, जिसमें कई मुस्लिम नेता भी हैं.
27 फरवरी को होगा चुनाव
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी दुविधा वाली स्थिति है. कांग्रेस के अपने विधायकों की संख्या 19 है. आरजेडी के 79 विधायक हैं. आरजेडी के दो सांसद जीतने के बाद अगर कांग्रेस को आरजेडी का समर्थन मिल भी जाता है तब भी कांग्रेस को जीत के लिए यह संख्या कम होगी. इस स्थिति में पूरा खेल वामदलों पर निर्भर करता है, जिसके 16 विधायक हैं. वामदल भी अगर प्रत्याशी देती है तो उसे कांग्रेस की जरूरत पड़ेगी. नामांकन की अंतिम तारीख 15 फरवरी है जबकि 27 फरवरी को चुनाव होगा.
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