Raksha Bandhan 2023: बिहार (Bihar) के दरभंगा (Darbhanga) में स्थित खादी भंडार इको फ्रेंडली राखी को तैयार करती है, जिसे सिक्की या मुंज घास से प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है. इस बार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के त्योहार पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कलाई पर बांधने के लिए बिहार के दरभंगा के खादी भंडार की राखी को चुना गया है. वहीं दरभंगा के रामबाग में स्थित खादी भंडार की कामगार राधा झा की टीम को प्रधानमंत्री के लिए ये खास राखी बनाने के लिए चुना गया है.


इस राखी की खासियत यह है कि यह पूरी तरह इको फ्रेंडली है. इसे तैयार करने में सिक्की (घास),प्राकृतिक रंग और खादी के सूत का प्रयोग किया जाता है. खादी भंडार दरभंगा में कार्यरत पंकज मिश्रा ने बताया कि इसे मूंज या सिक्की घास भी बोलते हैं. ये इको फ्रेंडली राखी होती है. सबसे पहले हम लोग इस घास को काटते हैं. उसके बाद धूप में इसको अच्छे से सुखाते हैं. इससे इसमें नमी की मात्रा खत्म हो जाती है. उसके बाद इसको वार्निश करते हैं. वार्निश करने के बाद इसको रंग करते हैं. इसमें जो ऑर्गेनिक रंग जो होते हैं, उनका  हीउपयोग किया जाता है.


प्रधानमंत्री को राखी भेजने वाली राधा झा कौन हैं
पंकज मिश्रा ने बताया कि इसमें केमिकल की किसी तरह की कोई मात्रा नहीं होती. उसके बाद इस राखी की बुनाई की जाती है. इस पूरे प्रोसेस के बाद हम लोग एक घंटे में तीन से चार राखी बना पाते हैं. हमारे भंडार से करीब 25 से 30 महिलाएं जुड़ी हुई हैं.  हम लोग दो-तीन साल से सिक्की की राखी बना रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री के लिए सिक्की की राखी तैयार करने वाली राधा झा दरभंगा जिला के मनीगाछी प्रखंड के मकरंदा गांव के रहने वालीं हैं. उनके पति नरेश झा भी मकरंदा में ही दरभंगा खादी भंडार के कामगार हैं.


प्राकृतिक राखी के लिए 51 खादी भंडार का हुआ चयन
रक्षाबंधन को लेकर देशभर के 51 खादी भंडार को चयनित किया गया. उसी क्रम में पटना राज्य कार्यालय से दरभंगा खादी भंडार को निर्देश मिला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सिक्की से बनी खास राखी तैयार करनी है. इसके बाद सिक्की से बनी राखी बनाने की जिम्मेदारी राधा झा को सौपीं गई. बता दें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के माध्यम से देश के नागरिकों को खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया. 


इस प्रयास का प्रभाव उल्लेखनीय रहा है, खादी उद्योग एक परिवर्तनकारी पुनरुत्थान के दौर से गुजर रहा है. जो वर्ष 2013-14 से पहले एक गिरावट वाला क्षेत्र था, उसने अब एक नए पुनरोद्धार का अनुभव किया है.


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