Rakhi 2023: बिहार के औरंगाबाद में देसी गाय के गोबर से बनी राखियों की खूब चर्चा है. औरंगाबाद के कुटुंबा प्रखंड के चपरा गांव स्थित पंचदेव मंदिर में देसी गाय के गोबर से इको फ्रेंडली राखियां बनाई गई हैं. जिले में ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में बहनों के द्वारा भाइयों की कलाई पर ये बांधी जाएंगी. इतना ही नहीं यहां की राखियां फौजी भाइयों की भी कलाई की शोभा बढ़ाएगी.
झारखंड के जमशेदपुर से औरंगाबाद के पंचदेव धाम आकर सीमा पांडेय यहां की युवतियों एवं महिलाओं को न सिर्फ गोबर से राखियां बनाना सिखा रही हैं बल्कि वे गोबर से दीपक, खिलौने, देवी-देवताओं की मूर्तियां, अगरबत्ती, धूप बत्ती, डायबिटीज एवं बीपी मैट, मोबाइल रेडिएशन प्रोटेक्शन सहित कई प्रकार की सामग्रियां बनाकर आत्मनिर्भर होना सिखा रही हैं. मंदिर कमेटी की ओर से सभी महिलाओं को उनके काम के आधार पर दैनिक भुगतान भी किया जाता है.
इको फ्रेंडली राखी की खासियत जानें
सीमा पांडेय ने बताया कि आधुनिकता की होड़ में हम चाईनीज एवं फैंसी राखियों को उपयोग में ला रहे हैं लेकिन गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ इको फ्रेंडली हैं बल्कि इसे गमले में डालकर खाद के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है. इन राखियों में किसी न किसी पौधे के बीज भी समाहित रहते हैं जो एक पौधे के रूप में पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने बताया कि गोबर के कंडे से अग्निहोत्र बनाया जाता है जिसकी राख कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने में सहायक होती है. कोरोना काल में उस भस्म से कई मरीज बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के स्वस्थ हुए. इसको करने की इच्छाशक्ति आयुर्वेदाचार्य राजीव दीक्षित से प्राप्त हुआ है.
इस बार किस दिन मनाएं राखी?
रक्षाबंधन पर भद्रा होने की वजह से इसकी डेट को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है. लोग सोच रहे हैं कि 30 या 31 अगस्त किस दिन मनाया जाए. जानकारों का मानना है कि इस बार राखी का पर्व 30 और 31 अगस्त 2023 दोनों दिन मनाया जा सकेगा. 30 अगस्त 2023 को भद्रा रात 09.02 मिनट तक है. इसके बाद राखी बांध सकते हैं.
पंचांग अनुसार 30 अगस्त को राखी बांधने के लिए रात 09.03 के बाद का समय शुभ है. शास्त्रों के अनुसार राखी बांधने के लिए दोपहर का मुहूर्त सबसे अच्छा माना, ऐसे में जो लोग रात में राखी नहीं बांधते वह अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 07.05 मिनट से पहले तक राखी बांध सकते हैं, क्योंकि पूर्णिमा तिथि इस दिन सुबह इसी समय समाप्त हो जाएगी. खास बात ये है कि 31 अगस्त को भद्रा का साया भी नहीं रहेगा.
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