पूर्णिया: बिहार का राजनीतिक केंद्र पटना है लेकिन आने वाले चुनाव में सीमांचल (Seemanchal) सभी दलों के लिए अहम साबित होने वाला है. पिछले साल सितंबर में हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के सद्भावना रैली के बाद महागठबंधन भी सीमांचल को साधने की जुगत में जुट गया है. पूरा शहर महागठबंधन के होर्डिंग और पोस्टरों से पट गया है. महागठबंधन के पोस्टर में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और लालू यादव (Lalu Yadav) ही बड़े चेहरे के रूप में दिख रहे हैं.
सभी पार्टियों ने झोंकी ताकत
पूर्णिया में बदले राजनीतिक परिदृश्य में नए समीकरण बनने के बाद यह पहला मौका होगा जब एक मंच पर सियासत का इतना बड़ा जमघट लगने जा रहा है. महागठबंध की रैली 25 फरवरी को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में होगी. रैली में खुद सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मोर्चा संभाले दिखाई देंगे. इस दौरान न सिर्फ सीमांचल-कोसी के नेता बल्कि महागठबंधन के सभी शीर्ष नेता एक दूसरे के साथ मंच साझा करेंगे. पोस्टर देखने से यह साफ भी हो रहा है. महागठबंधन की इस रैली में सियासी दलों के साथ ही सीमांचल के वोटरों को साधने की तमाम कवायदे की जाएंगी. बिहार की सियासत के ये दो बड़े दिग्गज ही 2024 लोकसभा और फिर 2025 विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगे.
रैली को लेकर नेताओं का दौरा शुरू
2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में किसे आगे करेगा? फिलहाल हर कोई इस पर कुछ भी कहने से बच रहा है. वहीं, पूरे देश की नजर इस बार महागठबंधन की रैली पर होगी. महागठबंधन की इस रैली को लेकर मीडिया से लेकर राजनीतिक जानकार माइक्रो लेवल पर इसके सियासी मायने तलाश रहे हैं. महागठबंधन की महारैली को लेकर नेताओं ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. महारैली को कैसे ऐतिहासिक बनाया जाए शीर्ष नेता लगातार इस पर मंथन कर रहे हैं.
तैयारी में जुटे महागठबंधन के नेता
सीमांचल और कोसी के सात जिलों के नेताओं का कार्यक्रम स्थल पर आना जाना शुरू हो गया है. स्थानीय मंत्री और विधायकों से कार्यक्रम की नीतियों को लेकर विचार विमर्श का दौर तेज है. बीते सप्ताह जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर पूर्णिया पहुंचे थे. इसको लेकर टाउन हॉल में बड़ी बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में खुद मंत्री लेशी सिंह, चंद्रशेखर यादव, शाहनवाज, सुरेंद्र यादव, एमएलसी रविंद्र सिंह, श्याम रजक, सांसद संतोष कुशवाहा, दुलालचंद गोस्वामी, सुनील सिंह, अशफाक करीम, 'हम' प्रदेश अध्यक्ष प्रफुल्ल मांझी, आरजेडी नेता पर्यवेक्षक विनोद श्रीवास्तव, चक्रपाणि हिमांशु सहित कई दिग्गज शामिल हुए थे. महागठबंधन की रैली के जरिए सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी याद की ये कोशिश होगी कि वीआईपी और जाप जैसे बाकी दल जो अब भी महागठबंधन से बाहर हैं उन्हें गोलबंद किया जाए.
आगामी चुनाव के लिए यह क्षेत्र है महत्वपूर्ण
महागठबंधन की रैली में भीड़ जुटे साथ ही सीमांचल के वोट बैंक को साधा जा सके. इसे लेकर जेडीयू के जिला स्तरीय नेता ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप कर है. विधायक बीमा भारती, सैयद रुकनुद्दीन, पूर्व विधायक दिलीप यादव, बरारी के पूर्व विधायक नीरज कुमार यादव, सबा जफर, हाजी सुबहान इसकी कमान संभाल रहे हैं. रैली इसलिए भी अहम है कि ही बीजेपी से जेडीयू के ब्रेकअप और फिर आरजेडी से जेडीयू के पैचअप के बाद बीते साल सितंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोसी सीमांचल के लिए बड़ी रैली का आयोजन किया था, जिसकी हुंकार रंगभूमि मैदान से ही भरी गई थी लिहाजा अलग-थलग पड़ी बीजेपी और महागठबंधन दोनों के लिए ही कोस-सीमांचल का इलाका 2024 और 2025 चुनाव के लिए अहम है
पूर्णिया में इस वजह से हो रही है रैली
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कोसी-सीमांचल के सात जिले में लोकसभा की छह और विधानसभा की 37 सीट हैं. इनमे से लोकसभा की 5 सीट और विधानसभा की 27 सीट महागठबंधन के हाथ में है जबकि बाकी बची लोकसभा की एक और विधानसभा की शेष दस सीट बीजेपी के कब्जे में है. वहीं, विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो जेडीयू के पास 12 बीजेपी के पास 10 सीट, आरजेडी नव सीट और भाकपा माले के पास एक सीट है. महागठबंधन में शामिल अन्य पार्टियां बल्कि खुद आरजेडू इस रैली के बहाने लालू वाली पकड़ सीमांचल कोसी में मजबूत करने की जुगत में है. वहीं, वोटबैंक के फार्मूले पर सीमांचल को सेट करें तो यह इलाका मुस्लिम, यादव, अतिपिछड़ा और महादलित बाहुल्य क्षेत्र है. साथ ही कोयरी ,कुर्मी और कुशवाहा वोटरों की भी अच्छी खासी आबादी है. यही वजह है कि महागठबंधन ने महारैली के लिए सीमांचल को चुना और राजनीतिक केंद्र बिंदु में पूर्णिया को रखा है.
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