गोपालगंज: बिहार में बीजेपी के एक और विधायक व पूर्व पर्यटन मंत्री रामप्रवेश राय की कोर्ट ने मुश्किलें बढ़ा दी है. शनिवार को गोपालगंज के जिला एवं सत्र न्यायालय राकेश मालवीय की कोर्ट ने विधायक की याचिका को खारिज कर दिया. रामप्रवेश राय गोपालगंज के बरौली विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं और बिहार सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके हैं. 


सिविल कोर्ट के लोक अभियोजक देववंश गिरि ने बताया कि विधायक की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय राकेश मालवीय की कोर्ट ने कहा कि आप विधायक हैं. संविधान ने आपको कानून बनाने का अधिकार दिया है. आप ही कानून तोड़ेंगे और आप राहत खोजेंगे, यह कैसे संभव है?


जिला जज की कोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले वाली याचिका पर पूर्व मंत्री को राहत देने से इंकार कर दिया. एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पूर्व मंत्री के अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट से अपील खारिज होने से पूर्व मंत्री की मुश्किलें बढ़ गयी है. 


जानें क्या था पूरा मामला


बता दें कि मांझा थाना क्षेत्र के रहने वाले कोईनी के रहने वाले राम प्रवेश राय पर्यटन मंत्री के पद पर रहते हुए आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया. 10 सितंबर 2010 को चुनाव के दौरान सेमरिया-रूपनछाप में सारण तटबंध पर पहुंचे, जहां बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा कटाव निरोधक कार्य कराया जा रहा था. कार्य करा रहे कार्यापालक अभियंता के द्वारा कराये जा रहे कार्यों की समीक्षा की गयी और उनको निर्देश दिया गया था. जो आचार संहिता का उल्लंघन था. इस मामले में तत्कालीन बीडीओ उदय कुमार तिवारी ने बरौली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.


 कोर्ट में पूर्व मंत्री ने रखी ये अपील


राम प्रवेश राय उपस्थित होकर अपने अधिवक्ता के माध्यम से कहा कि उनका यह प्रथम अपराध है और वे एक वरिष्ठ वृद्ध नागरिक है. कुछ गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. उनका राजधानी पटना के अस्पताल में नियमित रूप से समय-समय पर इलाज किया जा रहा है. भविष्य में इस तरह के किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. सदैव विधि द्वारा स्थापित कानून का पालन करेंगे. एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे. अतः उनके इस प्रथम अपराध पर सहानुभूतिपूर्वक दयापूर्वक विचार करते हुए माफ कर दिया जाए. 


कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समानता की बात को ध्यान में रखते हुए कहा कि विधि के दृष्टि में सभी बराबर हैं, कानून से ऊपर कोई नहीं है. अभियुक्त रामप्रवेश राय को भारतीय दंड संहिता की धारा-171 एफ के अंतर्गत दोषसिद्ध पाते हुए 1000/- (एक हजार रुपये) अर्थदंड की सजा दी. अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं करने पर छह माह का कारावास की सजा सुनायी थी. अब विधायक ने हाइकोर्ट जाने की बात कही है.


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