पटना: राज्यसभा का टिकट कटने के बाद सोमवार को मीडिया के सामने आए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने जो कुछ भी कहा उससे आने वाले दिनों में उनकी राजनीति किस तरफ जाएगी, इसके संकेत साफ तौर पर दिखे. आरसीपी सिंह ने टिकट कटने को लेकर भले ही यह कहा कि उनकी कोई नाराजगी नहीं है. नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और ललन सिंह (Lalan Singh) से उनके संबंध अच्छे हैं, लेकिन इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने नीतीश कुमार की लाइन से अलग और बीजेपी के स्टैंड को समर्थन देने वाली कई ऐसी बातें कहीं जो साफ इशारा करती है कि आरसीपी सिंह मंत्री पद से हटने के बाद चुप नहीं बैठेंगे और जेडीयू में रहते हुए ऐसी बातें खुल कर कहेंगे जो नीतीश बनाम बीजेपी की लड़ाई में अब तक बीजेपी के नेता कहते रहे हैं.
आरसीपी पर केंद्र में मंत्री बनने के बाद जेडीयू से ज्यादा बीजेपी के करीब होने का आरोप भी लगता रहा है. ऐसे में आरसीपी अब बीजेपी के साथ खडे दिखकर जहां एक तरफ नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें ख़डी करेंगे, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की सहानुभूति भी हासिल करेंगे. यदि नीतीश कुमार भविष्य में फिर से बीजेपी का साथ छोड़ते हैं तो ऐसे में बीजेपी आरसीपी का साथ बिहार में ले सकती है.
मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश
बिहार के सियासी गलियारे में पिछले कुछ महीने से इस बात की चर्चा खूब हो रही है कि क्या नीतीश कुमाऱ एक बार फिर एनडीए का साथ छोड़कर लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश करेंगे. इन चर्चाओं को लेकर आरसीपी सिंह ने आज दो टूक कह दिया कि समस्या इसी को लेकर है. प्रधानमंत्री के लिए 273 सीट चाहिए और बिहार में हमलोगों ने अधिकतम 20 सीटें जीती हैं और अभी 16 हैं. ऐसे में ये कैसे हो सकता है? थर्ड फ्रंट में कोई दम नहीं है. देवगौड़ा बने भी थे तो कितने दिन के लिए. नीतीश को पीएम मटेरियल बताने वाले जेडीयू नेताओं को भी आरसीपी ने साफ कह दिया कि कुछ लोगों का काम ही सिर्फ होता है कि कैसे झगड़ा लगाया जाए.
आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर RCP के सुर नीतीश से अलग
आरसीपी ने आज मोदी कैबिनेट में जेडीयू को सिर्फ एक सीट दिए जाने को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके नीतीश कुमार के उस तर्क पर भी सवाल खड़ा कर दिया जिसके आधार पर नीतीश कुमार ने 2019 में मंत्रिमंडल में जेडीयू की भागीदारी से इंकार कर दिया था. केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के समय नीतीश कुमार ने जेडीयू की सांकेतिक भागीदारी की जगह आनुपातिक प्रतिनिधित्व की बात रखी थी, लेकिन आज आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार से बिलकुल अलग ये कहा कि 303 सीटें जीतने के बाद भी यदि बीजेपी ने मंत्रिमंडल में एक जगह भी दी तो यह उनकी उदारता है. उन्होने बुलाया यही अपने आप में बड़ी बात है.
जेडीयू से दूर व बीजेपी के और करीब दिखेंगे आरसीपी
आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के उस फैसले पर भी सवाल उठाया जिसमें उन्होंने पार्टी के प्रकोष्ठ की संख्या को 33 से घटाकर 13 कर दिया. आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए प्रकोष्ठ की संख्या बढ़ाई थी, लेकिन जब ललन सिंह उनकी जगह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्होने इस फैसले को पलट दिया. आज आरसीपी ने ये भी साफ कर दिया कि जेडीयू में रहते हुए वे उनके खिलाफ अभियान चलाने वाले ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे. जातीय जनगणना को लेकर भी आरसीपी की राय नीतीश कुमार से बिल्कुल अलग है. आरसीपी जातीय जनगणना के पक्ष में केंद्र सरकार के फैसले के साथ हैं. ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आरसीपी सिंह जेडीयू से दूर और बीजेपी के और करीब जाते दिखेंगे.
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