पटना: कोरोना की तीसरी लहर का असर कम हो गया है. अब सारी व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पहले की तरह हो इसलिए सभी स्कूल भी खुल चुके हैं. सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन बेहतर ढंग से हो सके इसके लिए शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने 42 हजार शिक्षकों को 23 फरवरी को नियुक्ति पत्र देने के साथ ही योगदान करने का एलान कर दिया है. हालांकि, बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए नए शिक्षकों को वेतन के रूप में क्या मिलेगा, इसकी पड़ताल एबीपी न्यूज ने की है.


18 सौ रुपये ईपीएफ काटेगी सरकार


बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से तय किए गए मानदेय के अनुसार वैसे नए शिक्षक जो कक्षा पहली से 8वीं तक के बच्चों को पढ़ाएंगे, उनका वेतनमान 5200 का होगा. ऐसे में उनकी मूल सैलरी 13,370 रुपये होगी, जिसमें महंगाई भत्ता, आवासीय भत्ता एवं मेडिकल जोड़कर कुल 19,316 रुपये की राशि होगी. लेकिन इसमें से सरकार द्वारा 18 सौ रुपए ईपीएफ के मद में काटे जाएंगे. ऐसे में उन्हें हर महीने 17,516 रुपये इन हैंड मिलेंगे. यह राशि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के अनुसार कम-अधिक हो सकती है.


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हालांकि, बिहार सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि अभी तत्काल 15 प्रतिशत वेतन की बढ़ोतरी की जाएगी. ऐसे में अगर 15 प्रतिशत जोड़ दिया जाए तो पहली से 8वीं तक के बच्चों को पढ़ाने वाले नए शिक्षकों का वेतन 22,275 होगा, जो ईपीएफ काटने के बाद 20,475 रुपये हो जाएगा. वहीं, क्लास 9वीं से 12वीं तक के शिक्षकों का वेतन लगभग 23 हजार रुपये के आसपास होगा. इसमें अगर 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है, तो वेतन बढ़कर लगभग 25 हजार रुपए हो जाएंगे.


चपरासी से भी कम शिक्षकों की सैलरी


बता दें कि जिन शिक्षकों की बहाली की गई है, उनसे उनकी बीएड और पीजीटी की सर्टिफिकेट भी ली गई है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि पीजी और बीएड करके अभ्यर्थी 25 हजार की नौकरी करेंगे तो शिक्षा की गुणवत्ता कैसे रहेगी. देखा जाए तो हाई स्कूल के नवनियुक्त शिक्षकों का वेतन एक आदेशपाल (चपरासी) के जितना होगा. वहीं, प्राइमरी वालों की सैलरी तो उनसे भी कम होगी. 


इस संबंध में एक नियोजित शिक्षक ने बताया कि अधिकांश शिक्षक स्कूल में पढ़ाई कराने के अलावा अन्य काम भी करते हैं, तब जाकर घर चल पाता है. वहीं, शिक्षक नेता मनोज कुमार ने बताया कि एक ही स्कूल में साल 1994 और 1999 में बहाल हुए शिक्षकों को 70 से 80 हजार रुपये वेतन के तौर पर मिलते हैं. जबकि उसी स्कूल में साल 2006 में आए नियोजित शिक्षकों को अभी 30 हजार रुपये मिल रहे हैं. इस वजह से शिक्षक तनाव में रहते हैं, जिसका असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ता है. 


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