एक्सप्लोरर

बिहार विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों का दबदबा, बीते 30 साल में 100 सीटें भी नहीं जीत पाई हैं बीजेपी-कांग्रेस

पिछले तीन दशकों से बिहार की सत्ता तक राष्ट्रीय दल को पहुंचने के लिए क्षेत्रीय दलों का सहारा रहा है.

पटना: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार से नामांकन का पर्चा दाखिल करने का काम शुरू हो गया, लेकिन अब तक राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर लगी गांठ नहीं खुाल सकी है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जहां लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के कारण सीट बंटवारे का पेंच फंसा हुआ है, वहीं महागठबंधन में आरजेडी राष्ट्रीय दल, कांग्रेस की सीटों की मांग पूरी नहीं कर पा रही है.

इधर, देखा जाए तो पिछले तीन दशकों से बिहार की सत्ता तक राष्ट्रीय दल को पहुंचने के लिए क्षेत्रीय दलों का सहारा रहा है, ऐसे में माना जा रहा है कि राष्ट्रीय दल किसी भी परिस्थिति में छोटे और क्षेत्रीय दलों को नाखुश करना नहीं चाह रहे हैं. माना जा रहा है कि यही कारण है कि क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय स्तर के दलों को आंखें भी दिखाते रहते हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय पार्टियां वर्ष 1990 से अब तक किसी भी विधानसभा चुनाव में 100 के आंकड़े को पार नहीं कर सकी है.

पिछले चुनाव पर गौर करें तो पिछले चुनाव में जेडीयू और आरजेडी के सहारे कांग्रेस सत्ता का स्वाद चख सकी थी, लेकिन जेडीयू के महागठबंधन से बाहर निकलने के बाद नीतीश कुमार की सरकार गिर गई थी और फिर नीतीश ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. इस चुनाव में कांग्रेस को 27, जबकि भाजपा को 53 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. इसके अलावा, 2010 के विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो इस चुनाव में भी बीजेपी को सत्ता तक पहुंचने के लिए जेडीयू का सहारा मिला था. इस चुनाव में भी जेडीयू को 115 सीटें मिली थी, जबकि बीजेपी को 91 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.

1990 में भी राष्ट्रीय दलों को 100 से कम सीटों पर संतोष करना पड़ा था

यही स्थिति 2005 के चुनाव में भी देखने को मिली था जहां बीजेपी सत्ता तक पहुंची जरूर, लेकिन उसे जेडीयू के सहारे चुनाव मैदान में उतरना पड़ा था. वर्ष 2000 के चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में बिहार के 243 विधानसभा सीटों में से आधे से अधिक पर आरजेडी ने अपना परचम लहरा कर सत्ता तक पहुंची थी. 1995 के चुनाव की बात करें तो उस चुनाव में भी राष्ट्रीय दल कांग्रेस को 29 सीटों पर संतोष करना पड़ा था जबकि बीजेपी को 41 सीटें मिली थी. इससे पहले 1990 में भी दोनों राष्ट्रीय दलों को 100 से कम सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.

राजनीतिक समीक्षक संतोष सिंह कहते हैं कि वर्ष 1989 के भागलपुर दंगे के दौरान ही कांग्रेस के लिए अंतिम कील ठोंक दी गई थी जब अल्पसंख्यक इससे नाराज हो गए थे. उस समय बिहार में बीजेपी का बिहार में उदय हो रहा था. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि कांग्रेस तो 'बैकफुट' पर चली गई लेकिन कलांतर में बीजेपी केंद्र में सत्तारूढ़ हो गई, लेकिन बिहार में अब भी वह जेडीयू की पिछलग्गू बनी है.

सिंह कहते हैं, "पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर विजयी हुई थी, जिसमें बीजेपी के 17 उम्मीदवार उतारे थे और सभी विजयी हुए थे, उसके बावजूद बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं की. इस चुनाव में भी वह जेडीयू के साथ है." वैसे उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस चुनाव में एनडीए के घटक दल जेडीयू और बीजेपी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ती है, तब परिणाम देखने वाला होगा और यह भी देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर रूतबा कायम करने वाली बीजेपी बिहार में अपना रूतबा बना सकी या नहीं?

यह भी पढ़ें-

बिहार में गठबंधन बनाए रखने की जिम्मेदारी अमित शाह ने ली, कहा- BJP और LJP के बीच कोई कटुता नहीं

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

WPL 2025: गुजरात ने यूपी वॉरियर्स को बुरी तरह रौंदा, 6 विकेट से दर्ज की बंपर जीत
गुजरात ने यूपी वॉरियर्स को बुरी तरह रौंदा, 6 विकेट से दर्ज की बंपर जीत
रामदास अठावले ने किया महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का विरोध, कहा- 'धार्मिक सौहार्द को...'
रामदास अठावले ने किया महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का विरोध, जानें क्या कहा?
स्टेशन मास्टर और अधिकारी क्या कर रहे थे? नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे पर भड़के महंत राजू दास
स्टेशन मास्टर और अधिकारी क्या कर रहे थे? नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे पर भड़के महंत राजू दास
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

New Delhi Railway Station Stampede: नहीं थे इंतजाम...फिर क्यों किए दावे तमाम? | Breaking NewsNew Delhi Railway Station Stampede: 3 ट्रेन.. 1 प्लेटफॉर्म.. तय था मौत का तूफान! | Breaking NewsDelhi Railway Station Stampede: प्रयागराज से दिल्ली..बदला कुछ नहीं! नई दिल्ली भगदड़ के 'वो' विलेन!Sandeep Chaudhary: कोई नहीं कसूरवार.. जनता अपनी जान की खुद कसूरवार ! Delhi Railway Station Stampede

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
WPL 2025: गुजरात ने यूपी वॉरियर्स को बुरी तरह रौंदा, 6 विकेट से दर्ज की बंपर जीत
गुजरात ने यूपी वॉरियर्स को बुरी तरह रौंदा, 6 विकेट से दर्ज की बंपर जीत
रामदास अठावले ने किया महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का विरोध, कहा- 'धार्मिक सौहार्द को...'
रामदास अठावले ने किया महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का विरोध, जानें क्या कहा?
स्टेशन मास्टर और अधिकारी क्या कर रहे थे? नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे पर भड़के महंत राजू दास
स्टेशन मास्टर और अधिकारी क्या कर रहे थे? नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे पर भड़के महंत राजू दास
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
SME IPO News: शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
हैवी ड्राइवर! लैपटॉप चलाते हुए कार ड्राइव कर रही महिला का हुआ मोटा चालान, वायरल हो रहा वीडियो
हैवी ड्राइवर! लैपटॉप चलाते हुए कार ड्राइव कर रही महिला का हुआ मोटा चालान, वायरल हो रहा वीडियो
IPL 2025 DC Schedule: 25 मार्च को गुजरात टाइटंस से दिल्ली कैपिटल्स का पहला मैच, जानें DC का फुल शेड्यूल
25 मार्च को गुजरात टाइटंस से दिल्ली कैपिटल्स का पहला मैच, जानें DC का फुल शेड्यूल
Myths Vs Facts: क्या पीरियड्स में गड़बड़ी गंभीर बीमारी के हैं लक्षण?  जानें क्या है पूरा सच
क्या पीरियड्स में गड़बड़ी गंभीर बीमारी के हैं लक्षण? जानें क्या है पूरा सच
Embed widget

We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking "Allow All Cookies", you agree to our use of cookies.