मोतिहारीः जिस रिंग बांध पर लाखों खर्च किए उसका अस्तित्व समाप्त, अभी भी 4 प्रखंडों में बाढ़ सा नजारा
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. हालात ये हैं कि उनके पास पानी से घिरे गांवों से निकलने के लिया रास्ता तक नहीं है. रस्सी के सहारे सुरक्षित स्थान पर जा रहे.
मोतिहारी: नेपाल के वाल्मीकि नगर बैराज से चार लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद बिहार के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं. ऐसे क्षेत्रों के लिए बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर हर साल सरकार बैठक कर योजना बनाती है पर कई जिलों में नदियों में उफान के बाद गांवों में घुसे पानी ने तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मोतिहारी के कई इलाकों में पानी घुसा है लेकिन कोई देखने वाला नहीं है. रिंग बांध पर लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी उसका अस्तित्व समाप्त हो चुका है.
दरअसल, पिछले कई दिनों से नेपाल सहित पूरे चंपारण में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है. ऐसे में हालत यह हो गई है कि जिले के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र सुगौली में गंडक व सिकरहना नदी का पानी तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में लोग अपनी जिंदगी को बचाने के लिए अपना ठिकाना बदल रहे हैं.
रस्सी के सहारे सुरक्षित स्थान पर जा रहे लोग
वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बाढ़ के पानी के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. हालात ये हैं कि उनके पास पानी से घिरे गांवों से निकलने के लिया रास्ता तक नहीं है. वे जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे किसी तरह गांव से बाहर सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं.
जिले में अभी कुल चार प्रखंड बाढ़ से प्रभावित
जिले में अभी सुगौली, बंजरिया, संग्रामपुर और केसरिया प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं. सिर्फ सुगौली और संग्रामपुर में ही कम्युनिटी किचन चल रहा है. बाढ़ की वजह से पलायन कर रहे राजन सहनी ने कहा कि उसका घर पानी की वजह से आधा कट गया है. अब वह किसी दूसरे के यहां शरण लेने के लिए जा रहा है. पीड़ित राजन ने सरकार से मदद करने के लिए गुहार भी लगाई.
रिंग बांध को लेकर लोगों ने जताया आक्रोश
बता दें कि जिस रिंग बांध की मरम्मत के नाम पर मनरेगा के तहत लाखों रुपये का खर्च बताया गया है उस रिंग बांध का अस्तत्व ही मिट चिका है. हर साल मरम्मत के नाम पर पैसे खर्च किए जाते हैं लेकिन इसका कोई फायदा लोगों को नहीं मिल पाता है. इसको लेकर भी लोगों में आक्रोश है.
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