Bihar Caste Survey Report: क्या संख्याबल की बुनियाद पर बिहार में यादवों का राजनीतिक दबदबा और बढ़ेगा? जानिए जवाब
Lok Sabha Election 2024: जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद संख्याबल के अनुसार हिस्सेदारी की बात होने लगी है. वहीं, इससे बिहार की राजनीति में यादव समुदाय की तवज्जो बढ़ने वाली है.
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पटना: जाति आधारित गणना की रिपोर्ट (Bihar Caste Survey Report) आने के बाद सभी राजनीतिक दल बिहार में नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं. इस सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. राज्य में जनसंख्या के मामले में यह समुदाय सबसे अधिक है. यादव समुदाय का बिहार की राजनीति में दबदबा लालू सरकार (Lalu Yadav) से ही काफी रहा है. आरजेडी 'एम-वाई' समीकरण के साथ ही बिहार में कई सालों तक सत्ता के केंद्र में रही है. 'जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी' वाली बात के अनुसार निश्चित बिहार में यादवों का राजनीतिक दबदबा और बढ़ेगा.
आरजेडी करती रही है प्रतिनिधित्व
जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आने के बाद सोमवार को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि बिहार सरकार का यह सराहनीय कदम है जिसकी जितनी संख्या होगी उतनी उसकी हिस्सेदारी होगी. तेजस्वी ने स्पष्ट कर दिया कि रिपोर्ट के आकड़े के अनुसार ही बिहार की राजनीतिक परिदृश्य बदलने वाला है. इससे यादव समुदाय को काफी लाभ मिलता दिख रहा है. यादवों की प्रतिनिधित्व का दावा आरजेडी पहले से ही करती रही है. यादव भी हमेशा आरजेडी के साथ रहे हैं. हालांकि की बिहार में महागठबंधन की सरकार बनते ही मंत्रिमंडल में यादव की खास तवज्जो दी गई थी. मंत्रिमंडल में सात यादव मंत्रियों को जगह दी गई थी.
मुख्य केंद्र में रहेंगे यादव समुदाय
अगले साल लोकसभा चुनाव है. इसको लेकर सभी पार्टियां अभी से रणनीति बनाने में जुट गई हैं. अब जातियों की संख्या बल के अनुसार पार्टियां एजेंडे बनाएंगी, जिससे प्रदेश के एक बड़े हिस्से को अपनी पार्टी से जोड़ सके. इस राजनीति में यादव समुदाय को हर दल अपने तरफ करने की कोशिश करेगा. खास कर यादव समुदाय को हर दल अपने तरफ लुभाने को कोशिश करेगा. सभी पार्टियां इनकी हिस्सेदारी अपनी पार्टी में भी बढ़ाने की कोशिश करेगी, जिससे उन्हें चुनाव में लाभ मिल सके. जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आने के बाद एक बात तो तय हो गया है कि अब प्रदेश में किसी भी गठबंधन की सरकार बने, लेकिन यादव समुदाय उसमें मुख्य केंद्र में जरूर रहने वाला है. इनकी भागीदारी पहले से अब ज्यादा बढ़ने वाली है.
जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं. बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है. इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. राज्य में जनसंख्या के मामले में यह समुदाय सबसे अधिक है.
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