पटना: बिहार का मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagadanand Singh) ने पीएफआई (PFI) के सदस्यों की वकालत की है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरह यह भी मुसलमानों की एक संस्था है, जो खुद के बचाव के लिए काम करती है. उन्होंने कहा कि पटना के एसएसपी ने जो कहा था वह सही है. पाकिस्तान के कई संगठनों से सोशल मीडिया के जरिए बात करने पर गिरफ्तार लोगों के बचाव में जगदानंद सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में उनके रिश्तेदार हैं, जो लोग भारत से गए थे वह अपने रिश्तेदारों से बात करते हैं तो क्या राष्ट्र विरोध है? यह कौन सी प्रक्रिया है, जिसके तहत कहां जा रहा है कि कोई टेलीफोन से बात कर लिया तो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है.


वहीं, आरजेडी नेता जगदानंद सिंह के इस बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि जगदा नंद सिंह एक सुलझे हुए हुए व्यक्ति हैं. उनके मुख से राष्ट्र विरोधी भाषा अच्छी नहीं लगती है. जो लोग देश के खिलाफ पाकिस्तान और चाइना के लोगों से बात करते हैं, वैसे लोगों का वोट के लिए वकालत करना भी राष्ट्रद्रोह में आता है. उन्होंने आगे कहा कि अपना जमीर बेच कर अमीर नहीं बनना चाहिए. आरएसएस एक राष्ट्रभक्त संगठन है. उन्होंने कहा कि एक विशेष जाति और धर्म के वोट के लिए ऐसी भाषा अच्छी नहीं है.


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2047 तक मुस्लिम राष्ट्र बनाने की योजना


बता दें कि पटना के फुलवारी शरीफ में देश विरोधी गतिविधियों का खुलासा हुआ था. इस मामले में अब तक कुल पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है. वहीं, 26 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इधर, शनिवार को पटना टेरर मॉड्यूल मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि 2047 तक मुस्लिम राष्ट्र बनाने के मकसद से पीएफआई (PFI) बिहार में अपने संगठन और नेटवर्क को मजबूत करने में लगा हुआ था. फुलवारी शरीफ के अहमद पैलेस से पीएफआई की आड़ में आतंकी ट्रेनिंग देने के आरोप में गिरफ्तार अतहर परवेज को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी.


टैलेंट सर्च प्रोग्राम की आड़ में कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा


अतहर परवेज टैलेंट सर्च प्रोग्राम के जरिए बिहार में अधिक से अधिक मुस्लिम युवाओं को पीएफआई से जोड़ रहा था. टैलेंट सर्च प्रोग्राम की आड़ में डिबेट और सेमिनार का आयोजन विभिन्न मदरसों और अन्य जगहों पर होता था, जिसके जरिए वैसे लोगों की तलाश की जाती थी जिनकी सोच पीएफआई की कट्टरपंथी सोच से मिले. फिर उन लोगों को पीएफआई में शामिल कर उनका ब्रेनवॉश किया जाता था. इसके लिए दोहा की रास लाफेल संस्था टैलेंट सर्च प्रोग्राम के लिए पीएफआई और उससे जुड़ी संस्थाओं को फंडिंग करती थी.


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