पटना: आरजेडी सांसद मनोज झा (Manoj Jha) ने राज्यसभा में 'ठाकुर' को लेकर एक कविता सुनाई थी. इसके बाद पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. इस पर जमकर राजनीतिक बयानबाजी हो रही है. वहीं, इस मचे घमासान को लेकर मनोज झा ने शनिवार को बयान दिया. उन्होंने कहा कि उस कविता का संदर्भ महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) में पिछड़ों को शामिल करने को लेकर था. मैं देख रहा हूं कि उसके बाद लोग मुझे बेतुकी बातें कहने के लिए फोन कर रहे हैं. ये कॉल मुझे पिछले दिनों से आ रहे हैं. इस तरह के कॉल पिछले 72 घंटों से आ रहे हैं. इसको लेकर पार्टी ने भी स्थिति स्पष्ट कर दी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी खुलकर सारी बाते सामने रख दी. इसके बाद भी अगर यह विवाद है तो इसके पीछे कोई ऐसे तत्व है जिनका दलित समाज से कोई चिंता नहीं है.
उस कविता को पढ़ने से पहले, मैंने एक डिस्क्लेमर दिया था- मनोज झा
मनोज झा ने का कि वह कविता ओम प्रकाश वाल्मिकी द्वारा लिखी गई थी. उस कविता को पढ़ने से पहले, मैंने एक डिस्क्लेमर दिया था कि यह किसी जाति से संबंधित नहीं है, मैंने कहा था कि 'ठाकुर' मेरे अंदर भी हो सकता है. वो प्रभुत्व का प्रतिक है. किसी भी जाति के हो सकता है. उस कविता का संदर्भ महिला आरक्षण बिल में पिछड़ों को शामिल करने को लेकर था. इसके बाद कुछ प्रतिक्रियाएं हुई. इस पर मैंने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी है.
मनोज झा के बयान पर बिहार में घमासान मचा हुआ है
बता दें कि राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल के दौरान 'कुंआ ठाकुर का' पढ़ने पर आरजेडी सांसद मनोज झा विवादों में घिर गए हैं. आरजेडी के भीतर ही मनोज झा का विरोध शुरू हो गया है. आरजेडी विधायक चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन ने मनोझ झा की जिह्वा खींच लेने की बात कही है. शिवहर से आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने भी मनोझ झा पर निशाना साधा है. इसके साथ ही जेडीयू और बीजेपी के नेता भी इस बयान को लेकर मनोज झा के विरोध में उतर गए हैं. बिहार में इस बयान पर घमासान मचा हुआ है.
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