पटना: बिहार विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बुधवार को विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. सूबे में लागू शराबबंदी कानून की असफलता का मुद्दा उठाकर आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र, ललित यादव, कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा समेत विपक्ष के अन्य नेताओं ने सरकार पर जमकर निशाना साधा और शराब बंदी कानून की समीक्षा करने की मांग की.


सदन में हंगामा कर रहे आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने ये दावा किया कि सदन के अंदर बैठे कुछ नेता और पदाधिकारी ऐसे हैं जो रात में शराब में शराब ना पिएं तो उन्हें नींद नहीं आती. शराब उनके लिए एक जरूरी है. ऐसे में ये कानून सिर्फ गरीबों को परेशान करने लिए बनाई गई है. गरीबों की गिरफ्तारी होती है और सफेदपोश मजे से शराब पीते हैं.


शराबबंदी की समीक्षा की जाए


इधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि बिहार में हर जगह शराब मिल रही है. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता. मैं शराबबंदी कानून की समीक्षा का मुद्दा उठता हूँ तो नीतीश कुमार चिढ़ जाते हैं. लेकिन सच्चाई यही है कि राजस्व की हानि के बावजूद कोई फायदा नहीं हो रहा. ऐसे में शराबबंदी की समीक्षा की जाए. सूबे में शराब की बिक्री ऊंची कीमतों पर शुरू की जाए. इससे दो फायदे होंगे पहला कि गरीब शराब नहीं खरीदेंगे और दूसरा कि शराब बिक्री से आए पैसों से उद्योग लगेगा जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा.


मंत्री विजय चौधरी ने कही ये बात


इधर, सभी आरोपों के बीच बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी खड़े हुए और ये कहा कि भाई वीरेंद्र अपना अनुभव शेयर कर रहे हैं. हमारे तरफ तो कोई ऐसा नेता नहीं है. वहीं, सरकार ने कभी ये दावा नहीं किया है कि हमने पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी. हमारा दावा ये है कि हमने सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून लागू की. अब उसे लागू कराने के लिए काम किया जा रहा है. गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी कानून को लागू हुए पांच साल होने को हैं, लेकिन अब तक पूरी तरह से कानून को लागू नहीं किया जा सका है.


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