पटना: बिहार में साल 2016 से शराबबंदी कानून (Liquor ban in bihar) लागू कर दिया गया है. प्रदेश के किसी भी कोने में शराब बेचना, पीना, पिलाना या रखना पूरी तरह गैरकानूनी है. हालांकि, कानून को ठेंगा दिखाते हुए शराब तस्कर तस्करी में लगे हुए हैं. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई लोगों को जेल भेजा है. लेकिन बिहार में अवैध शराब की बिक्री रुक नहीं पा रही है. ऐसे में विपक्ष लगातार कानून पर सवाल खड़े करती रहती है. इसी क्रम में प्रदेश के वैशाली जिले के महुआ विधानसभा के विधायक मुकेश रोशन (Mukesh raushan) ने सरकार पर हमला बोला था. हालांकि, सरकार को घेरने के चक्कर में वो खुद ही घिर गए हैं.
मुकेश रोशन ने कही थी ये बात
दरअसल, आरजेडी (RJD) विधायक ने कहा था, " सरकार ने शराबबंदी पर समीक्षा बैठक की है. लेकिन सरकार जब-जब शराब पर समीक्षा करती है, तब शराब की कीमत बढ़ जाती है. समीक्षा बैठक के पहले जो शराब 800 में मिल रही थी, वह अभी 1400 में मिल रही है."
बेवजह शराबबंदी पर बयान देते हैं आरजेडी नेता
आरजेडी विधायक के इस बयान पर विवाद शुरू हो गया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी (BJP) प्रवक्ता निखिल मंडल (Nikhil Mandal) ने कहा कि जिस वक्त मुख्यमंत्री ने शराबबंदी की थी, उस वक्त आरजेडी (RJD) भी जेडीयू (JDU) के साथ थी. लेकिन जब से गठबंधन टूटा है, आरजेडी नेता बेवजह शराबबंदी पर बयान देते रहते हैं. अगर आरजेडी विधायक मुकेश रौशन को शराब की बिक्री और दाम की जानकारी है, तो उन्हें पुलिस को सूचना देनी चाहिए. उन्होंने पूछा कि क्या विधायक और शराब माफियाओं के बीच गठजोड़ है? क्या अवैध शराब व्यवसायियों से उनकी दोस्ती है?
जेडीयू प्रवक्ता ने कही ये बात
इधर, जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार (Neeraj Kumar) ने कहा, " जब शराब के रेड पर रेट बढ़ रही तो उनके पेट में दर्द क्यूं हो रहा है? शुरुआत में आपने संकल्प लिया था कि शराब ना पिएंगे ना पीने देंगे. लेकिन उसका आपने निर्वाहन नहीं किया. सरकार ने टोल फ्री नंबर जारी किया है, जब शराब की बिक्री आपकी जानकारी में है, तो आपने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी? वहीं, लोजपा (रामविलास) के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि विधायक ने किस सोच के साथ शराब की रेट बताई वह मैं नहीं कह सकता हूं, लेकिन इतनी सख्ती के बाद भी शराब की बिक्री हो रही है, तो इसके जिम्मेवार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. उन्हें शराबबंदी पर फिर से विचार करना चाहिए.
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