पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को पांच सालों बाद फिर एक बार जनता दरबार कार्यक्रम की शुरुआत की. पहले ही दिन सैकड़ों लोग मुख्यमंत्री से अपनी परेशानी साझा करने पहुंचे. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में सीएम नीतीश ने राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे 146 लोगों की लगातार साढ़े पांच घंटे से अधिक समय तक समस्याओं को सुना और संबंधित विभागों के अधिकारियों को समाधान के लिए समुचित कार्रवाई के निर्देश दिए.
खोखले पीआर की जरूरत नहीं
इधर, मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम को लेकर विवाद शुरू हो गया है. आरजेडी मुख्यमंत्री पर निशाना साध रही है. मंगलवार को पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर मुख्यमंत्री पर तंज कसा है. पार्टी ने लिखा, “ 16 साल सीएम रहने के बाद नीतीश कुमार से इस समझ की उम्मीद तो की ही जा सकती थी कि अगर वो हर रोज तथाकथित जनता दरबार लगाएं तो भी लाखों नागरिकों की 1% समस्या का भी अंत नहीं कर सकते. इसके लिए खोखला पीआर करने की नहीं, व्यवस्था में बदलाव करने की ज़रूरत है, जिसकी ताकत और इच्छाशक्ति उनमें है नहीं,”
तेजस्वी यादव ने भी साधा था निशाना
बता दें कि इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री और उनके कार्यक्रम पर निशाना साधा था. सोमवार को पटना लौटे तेजस्वी यादव ने कहा था कि बिहार में 1200 करोड़ जनता है. मुख्यमंत्री एक सप्ताह में तकरीबन 200 लोगों से मुलाकात करेंगे. ऐसे में इसका कोई फायदा नहीं होने वाला. कोरोना काल में दूर दराज से अधिकारी लोगों को लेकर आ रहे हैं. ऐसे में सरकार का अतिरिक्त खर्च हो रहा. निदान कुछ निकल कर नहीं आ रहा.
तेजस्वी यादव ने कहा था, " अभी अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल ढोंग कर रहे हैं. लगातार हम लोग कहते आए हैं कि नीतीश कुमार जनता के नहीं अधिकारियों के मुख्यमंत्री हैं. जनता दरबार भी तब शुरू किया जब हमने लगातार कहा कि मुख्यमंत्री जनता से नहीं मिलते." वहीं, इस दौरान जब उनसे आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के इस्तीफे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये सब बकवास बातें हैं, कोई आधार नहीं है इन बातों का. इस दौरान उन्होंने बताया कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जल्द बिहार आएंगे.”
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