कैमूर: बिहार में जेडीयू वर्सेस आरजेडी के सोशल मीडिया वार ने कड़ाके की ठंड के बीच सियासी पारा बढ़ा दिया है. आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी करने बाज नहीं आ रहे. मंगलवार को कैमूर पहुंचे विधायक सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) ने फिर से नीतीश पर हमला बोला और कहा कि वो अपने बयान से नहीं मुकरेंगे. सुधाकर सिंह ने सीएम नीतीश को शिखंडी और नाइट वॉचमैन कहा था जिसको लेकर जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कार्रवाई की मांग की. इस पर सुधाकर सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं अपनी जुबान और बयान पर कायम हूं. मैं सोच समझकर कोई बात कहता हूं. जो कह देता उससे नहीं मुकरता और सारे बयान मेरे सोशल साइट फेसबुक पर भी अपलोड रहते हैं जिसे मैं कभी डालने के बाद डिलीट नहीं करता.
शिखंडी’और नाइट वॉचमैन वाले बयान पर अड़े रहेंगे
पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि पटना में सवाल पूछा गया था कि नीतीश कुमार राजनीति में किस तरह से याद किए जाएंगे तो मैंने साफ शब्दों में कहा था कि कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद और श्री कृष्ण बाबू जैसे तो कतई नहीं याद किए जाएंगे. क्योंकि यह तीनों लोग बिहार में बदलाव के साथ ही रहेंगे. यह ज्यादा से ज्यादा शिखंडी के रूप में याद किए जाएंगे. जब लगा महाभारत में भीष्म पितामह को नहीं हरा सकता तो उनके सामने शिखंडी को खड़ा कर दिया गया था. ठीक उसी तरह से जब लगा बिहार में लालू प्रसाद यादव को सत्ता से नहीं हटाया जाएगा तो उन्हें नीतीश कुमार को आगे कर दिया गया था.
पॉलिटिकल अरेंजमेंट से आरजेडी के साथ आए थे नीतीश
कहा कि मेरे इस बयान को लोग किसी भी रूप में लेना चाहें तो ले सकते हैं. उसी तरह जब मेन बल्लेबाज क्रिकेट में उतारने से पहले पिच की स्थिति जानने के लिए एक बार आ जाता है तो उसे नाइटवॉचमैन कहा जाता है. ठीक उसी तरह इन्हें भी उपयोग किया गया. सबसे बड़े दल में हमारी दावेदारी थी. नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार चला रहे थे. उनसे क्या मतभिन्नता हुआ यह मैं नहीं जानता. एक पॉलिटिकल अरेंजमेंट के चलते वह हमारे साथ गठबंधन में आए थे जिसमें एक टेंपरेरी अरेंजमेंट के तहत हमारे साथ आएं. तीन से चार महीने बाद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद पर बिठाने में सहयोग करिएगा, लेकिन सबको पता है क्या हो रहा है.
सुधाकर सिंह ने आगे कहा कि मैं सियासत को गर्म करने के लिए कोई बात नहीं कहा हूं. सबसे बड़ा सवाल है कि बिहार में फर्टिलाइजर किसानों को नहीं मिल रहा है. ठंड में किसान कांप रहे हैं. खाद की दुकानों पर ईंट पत्थर चल रहे हैं और सरकार हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज खरीदने में व्यस्त है. उसी संदर्भ में मैंने यह सब बातें उनपर कही थी. इससे पीछे हटने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है.
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