पटना: बिहार में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच आरजेडी के एक ट्वीट ने सूबे की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है. जेडीयू नेता ललन सिंह के दावे पर पलटवार करते हुए किए गए आरजेडी के 'जीजा जी' वाले ट्वीट पर बीजेपी और जेडीयू ने नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं, आरजेडी पर रिश्तों का मजाक बनाने के आरोप लगाया है.
निखिल आनंद ने कही ये बात
आरजेडी की ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता और प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर कहा, "ऐश्वर्या से विवाह के बाद तेजप्रताप को जीजा बनाने का गर्व क्या राजद परिवार को इतना है कि समाज की बहनों का सम्मान भी भूल गये? पार्टी के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से घटिया बयान जारी करते वक्त क्या समाज की बहनों- बेटियों के प्रति क्षुद्र-दरिद्र-कुंठित मनोभाव प्रदर्शित नहीं किया गया है?"
जेडीयू प्रवक्ता ने कही ये बात
वहीं, जेडीयू नेता और प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि आरजेडी टूट की खबरों से हताश है. जेडीयू नेता ललन सिंह ने तो बस आरजेडी में टूट की बात कहकर उन्हें आत्म मंथन के लिए अगाह किया था. लेकिन, आरजेडी बात को समझने के बजाय ऊलजलूल बयान दे रही है. उन्होंने आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बयान पर भी अपनी नाराजगी व्यक्ति की.
उन्होंने कहा है कि जगदानंद सिंह वरिष्ठ नेता हैं और वो अपनी संयम वाणी के लिए जाने जानते हैं. लेकिन उन्हें भी आरजेडी के अंदर चाटूकारिता करनी पड़ रही है, इसलिए ऐसे बयान दे रहे हैं.
ललन सिंह ने कही थी ये बात
मालूम हो कि रविवार को बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव ने आरजेडी में टूट का दावा किया था. वहीं, उनके दावे के समर्थन में उतरे जेडीयू सांसद और नेता ललन सिंह ने कहा था कि अगर भूपेंद्र यादव चाह लें तो आरजेडी में टूट क्या उसका विलय भी संभव है.
जेडीयू सांसद और नेता ललन सिंह के इसी बयान पर आरजेडी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और अरुणाचल प्रदेश में बीते दिनों हुई घटना को दिलाते हुए जेडीयू पर तंज कसा था. आरजेडी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा कि ये जीजा जी की नहीं समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी है. अरुणाचल प्रदेश में किसकी पार्टी का किसने विलय किया? अब आरजेडी के इस ट्वीट पर सत्ताधारी दल के नेता हमला बोल रहे हैं.
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब आरजेडी ने ऐसी टिपण्णी की हो. इससे पहले एक बार राबड़ी देवी ने भी सीएम नीतीश और सांसद ललन सिंह को लेकर विवादित बयान दिया था. तब मामला अदालत तक पहुंचा था. हालांकि, 2015 में महागठबंधन सरकार बनने पर मामले को सुलझा लिया गया था.