नई दिल्ली: बिहार में नई सरकार के गठन को करीबन 2 महीने का वक्त हो रहा है, लेकिन अभी भी सरकार में मौजूद सहयोगी दलों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं दिख रहा. इसी की तस्वीर देखने को मिली जेडीयू की कार्यकारिणी के दौरान जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि आखिर दोस्त कौन है और दुश्मन कौन. नीतीश कुमार के इस बयान के बाद विपक्षी दल आरजेडी ने उन पर यह कहते हुए निशाना साधा है कि वह गोल-गोल बातें करना बंद करें और अगर मुख्यमंत्री बने बैठे हैं, तो उनको यह भी पता होना चाहिए कि आखिर वह दोस्त के सहयोग से मुख्यमंत्री बने हैं या दुश्मन के.


आरजेडी सांसद मनोज झा ने नीतीश के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नीतीश कुमार इस वक्त जिस हालात से गुजर रहे हैं, वह उनकी छवि नहीं थी, यह उनकी छवि के विपरीत है. विधानसभा की करीब 1/6 सीट पाकर वह मुख्यमंत्री बने हैं और उनको यह नहीं पता कि वह सरकार दोस्त के साथ चला रहे हैं या दुश्मन के साथ.


मनोज झा ने कहा कि बिहार में इस वक़्त हालत ये हैं कि नीतीश सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार तक नहीं हो पा रहा, क्योंकि सहयोगी दल बीजेपी की तरफ से उनको लिस्ट ही नहीं सौंपी जा रही. हालत ये है कि नीतीश कुमार छोटे-छोटे फैसले तक नहीं ले पा रहे.


मनोज झा ने कहा कि नीतीश कुमार के इन रहस्यवादी बयानों से बिहार की मूल समस्या दूर नहीं होने वाली.जब 2015 में बीजेपी के खिलाफ मत पड़े थे पर 2017 में नीतीश ने उसी बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और सत्ता बीजेपी के हवाले कर दी. लेकिन उस दौरान उनको दर्द नहीं हुआ, क्योंकि वह किसी दबाव में नहीं थे. आरजेडी का यही मानना है कि नितीश कुमार को खुल कर बोलना चाहिए कि किसने दोस्त का काम किया और किसने दुश्मन का.


हालांकि मनोज झा ने इशारों इशारों में यह भी साफ कर दिया कि कुछ ही वक्त पहले बीता विधानसभा चुनाव नीतीश सरकार के खिलाफ जनता की नाराजगी का चुनाव था और मत नीतीश कुमार के खिलाफ पड़े थे, ऐसे में आरजेडी उनके साथ मिलकर सरकार नहीं बनाना चाहेगी. लेकिन इन सबके बीच मनोज झा ने यह भी कहने में गुरेज नहीं किया कि जेडीयू के कई विधायक पार्टी से अलग हो सकते हैं लेकिन वह किस तरफ जाएंगे पर फिलहाल चुप्पी साधे रखी है.


यानी जिस तरीके की तस्वीरें इस वक्त सामने आ रही है वह यह इशारा जरूर कर रही हैं कि बिहार की राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं है खासतौर पर नीतीश सरकार में. ऐसे में अगर आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में एक बार फिर कोई बड़ा भूचाल आए तो अचंभित नहीं होना चाहिए.


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