राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का अगले दो हफ्ते में जनता दल (यूनाइटेड) में विलय हो सकता है. इसके साथ ही, आरएलएसपी चीफ और पूर्व सांसद उपेन्द्र कुशवाहा को जेडीयू संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है. यह अन्य पिछड़े वर्गों से आने वाले कोयरी और कुर्मी समुदाय को एकजुट करने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विचारों के अनुरूप है.


अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जेडीयू और आरएलएसपी ने इस बात की पुष्टि की है कि कुशवाहा और जेडीयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह हाल के दिनों में दिल्ली में कई बार मुलाकात हुई है ताकि विलय की रुप-रेखा पर फैसला किया जा सके. आरएलएसपी सूत्रों ने बताया कि बशिष्ठ नारायण सिंह ही नीतीश कुमार और कुशवाहा के बीच बातचीत के दौरान मुख्य भूमिका में रहे हैं.


लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त


गौरतलब है कि कुशवाहा ने साल 2013 के मार्च महीने में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) का गठन किया था. एनडीए के घटक दल के तौर पर बिहार में कुशवाहा की पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 3 सीट जीतने में कामयाब भी रही. लेकिन, आरजेडी के सहयोगी के तौर पर 2019 लोकसभा चुनाव में एलएलएसपी को एक भी सीट हाथ नहीं लग पाई.


आरएलएसपी 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में भी एक सीट तक नहीं जीत पाई. हालांकि, उसने जेडीयू के संभावित जीत वाले खगड़िया, बेगूसराय, सारन, वैशाली, गया और आगरा में नुकसान पहुंचाया.  बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू सिर्फ 43 सीट जीत पाई. जबकि आरजेडी 75 और बीजेपी 74 सीट पर जीत का परचम लहराया. ऐसे में जेडीयू को दोबारा अपनी रणनीति पर सोचने को मजबूर कर दिया है. दूसरी तरफ कुशवाहा के पास भी अब खोने के लिए कुछ नहीं है. ऐसे में राजनीति में बने रहने के लिए कुशवाहा को भी नीतीश कुमार की जरूरत है.


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