सासाराम: रोहतास के लाल धर्मेंद्र कुमार सिंह को लोगों ने गुरुवार को नम आंखों से आखिरी विदाई दी. बिक्रमगंज अनुमंडल क्षेत्र की दनवार पंचायत के सरैया गांव के रामायण सिंह के बड़े पुत्र धर्मेंद्र कुमार सिंह ओडिशा में नक्सलियों से लोहा लेते शहीद हो गए थे. बुधवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव सरैया पहुंचा था.
सीआरपीएफ जवान धर्मेंद्र कुमार सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचते ही भारत माता की जयकारे से पूरा इलाका गूंज उठा. सैकड़ों की संख्या में युवा श्रद्धांजलि देने पहुंचे. गुरुवार की सुबह अंतिम यात्रा निकाली गई. इस दौरान सीआरपीएफ के डीआईजी संजय कुमार के अलावे रोहतास के एसपी आशीष भारती, डीआईडी छत्रनिल सिंह, उप विकास आयुक्त शेखर आनंद समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे. सभी अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी. सीआरपीएफ के डीआईजी संजय कुमार ने कहा धर्मेंद्र कुमार सिंह ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. पूरा सीआरपीएफ अपने साथी की वीरता को शलाम करता है. जिसने देश सेवा के लिए अपनी जान दे दी.
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नक्सलियों से लोहा लेते शहीद हुए धर्मेंद्र
बता दें कि नक्सलियों से लोहा लेते हुए ओडिशा के जंगलों में सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो गए थे. जिसमें रोहतास के धर्मेंद्र कुमार सिंह भी थे. धर्मेंद्र कुमार सिंह अपने दो भाइयों में सबसे बड़े थे. धर्मेंद्र के दो बच्चे भी हैं. घर पर ही बुजुर्ग माता-पिता रहते हैं. वह 2011 से कांस्टेबल के पद पर सीआरपीएफ में कार्यरत थे.
ग्रामीणों को अपने शहीद बेटे पर है गर्व
ग्रामीणों का कहना है कि धर्मेंद्र ने उनके गांव का नाम रोशन कर दिया है. उन्होंने आज देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. उन्हें अफसोस तो है कि उनका भाई, बेटा, दोस्त अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनका बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा. ग्रामीण बताते हैं कि गांव आने पर वह सभी लोगों से मिलते थे.
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