रोहतास: नासरीगंज-दाऊदनगर सोन पुल के पिलर नंबर एक के बीचों-बीच फंसे 12 साल के रंजन को करीब 25 घंटे की रेस्क्यू के बाद निकाल लिया गया. बुधवार से ही रंजन पुल के पिलर और दीवार के बीच में फंसा हुआ था. 25 घंटे तक पिलर और दीवार के बीच फंसे रहने से उसकी हालत काफी खराब हो गई थी. एंबुलेंस से सासाराम सदर अस्पताल लाया गया लेकिन उसकी मौत हो गई.


घटना को लेकर बच्चे के पिता शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि अस्पताल लाने से पहले ही बच्चे की मौत हो गई थी. एंबुलेंस से निकाले हमलोग तो देखे कि मौत हो गई है. इस मामले में पिता ने आगे कहा कि उनका बच्चा बुधवार की सुबह करीब 10-11 बजे से फंसा था. मौत की पुष्टि के बाद परिजनों में कोहराम मच गया. अस्पताल में पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े. अस्पताल में बच्चे की मां भी पहुंची थी. मां का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया था.



सदर अस्पताल के चिकित्सक ने क्या कहा?


वहीं इस मामले में सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर ब्रजेश कुमार ने कहा कि बच्चे की मौत हो चुकी थी. एक सवाल पर कि बच्चे की लाने के क्रम में मौत हुई है या रेस्क्यू के दौरान ही मौत हो गई थी इस पर चिकित्सक ने कहा कि देखने से ऐसा लग रहा था कि बच्चे की आठ से दस घंटे पहले ही मौत हो गई होगी.


बताया जाता है कि 12 साल का बच्चा रंजन दो दिनों से लापता था. उसे बीते बुधवार की सुबह 11 बजे पिलर के गैप में देखा गया था. पता चलने के बाद शाम के 4 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने 25 घंटे तक रेस्क्यू चलाया लेकिन बहुत मशक्कत करनी पड़ी. गुरुवार की सुबह बच्चे को बांस की मदद से खाना दिया गया था. पाइप से ऑक्सीजन की सप्लाई की गई. पहले पिलर में तीन फीट चौड़ा होल किया गया, लेकिन रेस्क्यू नहीं किया जा सका. बाद में स्लैब को तोड़कर गुरुवार की शाम करीब पांच बजे निकाला गया. अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टर ने मौत की पुष्टि कर दी.


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