पटनाः हर छात्र का सपना होता है कि वो किसी तरह जी तोड़ मेहनत करे और अपनी मंजिल को पा सके, लेकिन रास्ते में सरकारी तंत्र ही रोड़ा बनकर आ जाए तो ठेस लगना स्वभाविक है. बिहार के मूल रूप से सिवान के रहने वाले एक छात्र की जब आप पीड़ा सुनेंगे तो भावुक हो उठेंगे. ना सिर्फ सरकारी तंत्र से परेशान है बल्कि इस पूरे व्यवस्था ने उसे ऐसी चोट दी कि पढ़ाई से ही दिल टूट गया और गुस्सा किताबों पर निकल गया. दर्द से ऐसा छटपटाया कि सारी किताबें फाड़ दीं.
दरअसल, बिहार में एनटीपीसी (NTPC) और रेलवे ग्रुप डी (Railway Group D) की परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप में छात्रों का आंदोलन 24 जनवरी से जारी है. कई जगहों पर ट्रेनों में आग लगाई गई तो कहीं तोड़फोड़ की गई. हालांकि अंत में सारी परेशानियों को दूर करने के आश्वासन पर आंदोलन की रफ्तार रुक गई. इस बीच कई ऐसे वीडियो सामने आए जिसमें छात्रों को कहीं पीटा गया तो कहीं लॉज में घुसकर भी पुलिस ने पीटा. छात्रों का सीधा आरोप था कि ना तो समय परीक्षा होती है और ना ही रिजल्ट आता है. अगर कुछ होता भी है तो सब लेट.
इस पूरी व्यवस्था से परेशान होकर सिवान के रहने वाले एक छात्र ने अपनी सारी किताबें फाड़ दीं. सोशल मीडिया पर वायरल हुआ यह वीडियो एबीपी न्यूज के हाथों लगा तो इसकी हमने पड़ताल की. पता चला कि पटना के मुसल्लहपुर हाट के प्रोफेसर कॉलोनी में एक लॉज में रहकर पढ़ाई करने वाले एक छात्र पुष्पेंद्र कुमार ने ऐसा काम किया है. पुष्पेंद्र ने एबीपी न्यूज से बात की और बताया कि वह अब मानसिक रूप से परेशान हो चुका है.
पुष्पेंद्र ने कहा कि उसके पिता एक मामूली किसान हैं. वह छह साल से लॉज में किराया देकर रेलवे प्रतियोगिता और एसएससी के लिए तैयारी कर रहा है. एक बार रेलवे की सभी परीक्षा निकालने के बाद वह मेडिकल में अनफिट हो गया. दूसरी बार जब रिजल्ट आया तो रेलवे की गलती के कारण वह पीछे रह गया, जिसके कारण उसने अपना धैर्य खो दिया. 26 जनवरी को पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा था तब पुष्पेंद्र ने सरकारी सिस्टम के खिलाफ गुस्से में अपनी सारी किताबें फाड़ दीं.
गांव में पिता करते हैं किसानी
एबीपी न्यूज से भावुक होकर ही पुष्पेंद्र ने कहा कि वह सपने लेकर गांव से आया था. अब वह पढ़ाई नहीं करेगा, बल्कि घर चला जाएगा. उसने कहा कि गांव में उसके पिता किसान हैं. दो साल तीन साल तक रेलवे की वैकेंसी नहीं आती है, जब आती है तो इस तरह होता है. 2019 में अप्लाई किया गया और अब 2022 आ गया. एक सवाल पर कि क्या किताब फाड़ने के बारे में घर वालों को पता चला, इसपर पुष्पेंद्र ने कहा कि घर वालों को भी इसकी जानकारी हुई है, सबने कहा कि जब इस तरह का माहौल हो गया है तो क्या करोगे, घर आ जाओ.
समझाता रहा पुष्पेंद्र का दोस्त निखिल
वहीं दूसरी ओर अपने दोस्त को इस कदर टूटा हुआ देख उसका दोस्त और रूम पार्टनर निखिल कुमार समझाता रहा. औरंगाबाद का रहने वाले निखिल ही है जो वायरल वीडियो में अपने दोस्त को यह समझाते दिख रहा है कि किताब ना फाड़े. निखिल ने बताया कि पुष्पेंद्र पढ़ने में बहुत अच्छा है, लेकिन सरकार के सिस्टम के कारण वह किताब फाड़ने पर मजबूर हुआ. हमलोग कोशिश कर रहे हैं कि पुष्पेंद्र आगे पढ़ाई करे, लेकिन सरकार को भी छात्रों के बारे में सोचना चाहिए.