Rupauli By-Election Result: रुपौली उपचुनाव के परिणाम ने सभी राजनीतिक पार्टियों को चौंका दिया और यहां निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने 8,204 वोटों से जीत दर्ज की है. निर्दलीय प्रत्याशी की जीत से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी दोनों को करारा झटका लगा है. बिहार में जातिगत राजनीति होती रही है और रुपौली विधानसभा का चुनाव परिणाम भी जातिगत राजनीति मुक्त नहीं है. इसी राजनीति के तहत लालू और नीतीश दोनों के वोट बैंक में सेंधमारी कर निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह जीतने में कामयाब हुए हैं. क्या मुख्य बड़ी वजह रही है? इन 10 कारणों से समझा जा सकता है.


रुपौली उपचुनाव के परिणाम में ये मुद्दे रहे खास



  • 1. जातीय समीकरण में रुपौली विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक वोट गंगोता समाज का है. जेडीयू प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल और आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती दोनों गंगोता समाज से ही थे. इस समाज का 100% वोट नीतीश कुमार को मिलता रहा है, लेकिन इस चुनाव में गंगोता वोट में बंदरबाट हुआ, लगभग 70 प्रतिशत जेडीयू को मिला तो 30% बीमा भारती को मिला है.

  • 2. दूसरी ओर 'इंडिया' गठबंधन का सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम है और रुपौली विधानसभा में दूसरे नंबर पर लगभग 60,000 के करीब मुस्लिम हैं. जो 100 प्रतिशत लालू प्रसाद यादव का वोट बैंक है, लेकिन इस चुनाव में मुस्लिम वोट में भी बिखरा हुआ है. लगभग 40 प्रतिशत मुस्लिम वोट निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह के खाते में चला गया उसकी मुख्य वजह रही है कि बीमा भारती के पति अवधेश मंडल से अधिकांश मुस्लिम समाज का पहले से व्यक्तिगत विवाद रहा है. मुस्लिम समाज ने अपने विकल्प के रूप में शंकर सिंह को चुन लिया. तेजस्वी यादव चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मात्र एक बार पहुंचे. इस कारण वोटर में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा.

  • 3. तीसरा बड़ा कारण यह रहा कि बीमा भारती पिछले 23 सालों से विधायक रही हैं और 2005 से जेडीयू की लगातार विधायक रही हैं. इतने सालों में जो क्षेत्र में काम होना चाहिए वह काम नहीं हुआ है. उनके पति अवधेश मंडल का क्षेत्र में दबदबा रहा है. इस कारण आरजेडी में आने के बावजूद भी बीमा भारती से वोटरों का गुस्सा था तो जेडीयू से भी यहां के दलित समाज से भी लगभग 25 प्रतिशत वोटर खफा थे और इसका फायदा शंकर सिंह को मिला.

  • 4. बीमा भारती से लोगों की नाराजगी में जहां राजद को नुकसान हुआ है तो जदयू को भी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि पहले बीमा भारती की कई शिकायत मिली थी, लेकिन पार्टी ने ऊपर संज्ञान नहीं लिया था.

  • 5. पांचवाीं मुख्य बड़ी वजह बताया जा रहा है कि 2 जून को गोपाल की हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में बीमा भारती के बेटे का नाम आया. गोपाल वैश्य समाज से आते थे. इस मामले में वैश्य समाज की नाराजगी चुनाव में दिखी. वैश्य समाज एनडीए का कोर वोटर माना जाता है, लेकिन इस घटना से वैश्य समाज जहां बीमा भारती से नाराज थे तो जेडीयू से भी नाराजगी रही.

  • 6. छठी वजह रही कि निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की छवि भले ही बाहुबली में रही है, लेकिन क्षेत्र के वैश्य समाज में इनकी पहचान अच्छी है और कुशल समाज सेवी के रूप में भी रहा है. बताया जाता है कि शंकर सिंह पहले से वैश्य समाज को सपोर्ट करते रहे हैं. यही वजह रही कि लगभग 50 प्रतिशत वैश्य समाज का वोट शंकर सिंह में टर्न अप हुआ है.

  • 7. सातवीं बड़ी वजह रही कि शंकर सिंह अगड़ी जाति से आते हैं और अगड़ी जाति के लोग भी विकल्प के रूप में शंकर सिंह को देख रहे थे. क्षेत्र में लगभग 40 से 45 प्रतिशत वोट अगड़ी जाति का है. इनमें ज्यादातर राजपूत, ब्राह्मण और कुछ भूमिहार हैं. माना जा रहा है कि 10 प्रतिशत छोड़ दिया जाए तो सभी वोट शंकर सिंह को गए हैं जोकि यह एनडीए का कोर वोटर रहा है. इस कारण भी जेडीयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

  • 8. बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं तथा उन्हें सिर्फ 30,114 वोट मिले. इसकी मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि अगर आरजेडी बीमा भारती को छोड़कर किसी और को टिकट देती तो आरजेडी को ज्यादा वोट मिलता और एनडीए प्रत्याशी की जीत होती.

  • 9. इस क्षेत्र में यादव ज्यादा सक्रिय वोटर नहीं हैं. लगभग 10 से 12 हजार यादव का वोट है, लेकिन यादव वोट में भी बिखराव हुआ है. स्थानीय लोगों के मुताबिक बीमा भारती के पति अवेधश मंडल से यादव समाज की पुरानी अदावत रही है. इसकी वजह से 50 प्रतिशत वोट आरजेडी में तो 50 प्रतिशत वोट जदयू में ट्रांसफर हुए हैं. ऐसी चर्चा है तेजस्वी यादव अगर एक-दो दिन और ज्यादा कैंपेनिंग करते तो यादव वोट 100 प्रतिशत बीमा भारती को मिल सकता था.

  • 10. दसवां करण यह भी बताया जा रहा है कि कलाधर प्रसाद मंडल कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव के वक्त जेडीयू में शामिल हुए थे. एंटी इनकंबेंसी से भी वोट भी असर पड़ा है. कुछ जेडीयू कार्यकर्ताओं में इसकी नाराजगी भी थी. जिस करण अति पिछड़ा का समाज का कुछ वोट शंकर सिंह को ट्रांसफर हो गया.


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