सहरसा: जिले में रेशम कीट उद्योग आज भी विकास का इंतजार कर रही है, लेकिन कोई भी ऐसे जनप्रतिनिधि नहीं हुए जिन्होंने सहरसा अवस्थित रेशम कीट उद्योग को   विकास का रुख दिखाया. वर्तमान में मधेपुरा लोकसभा से जेडीयू के सांसद दिनेश चंद्र यादव कभी बिहार के उद्योग मंत्री थे, लेकिन उन्होंने भी इस उद्योग को तरजीह नहीं दी.


1000 किसानों को जोड़ने का था लक्ष्य


विभागीय अधिकारियों की मानें तो वित्तीत वर्ष 2013-2017 में 01 हजार किसानों को रेशम कीट उद्योग का व्यपार करवाने का लक्ष्य दिया गया था. बाबाजूद 362 किसान ही इसके लिए सक्षम हो सके और इन किसानों को 01 करोड़ 38 लाख के आसपास रुपया भी दिया गया.


अधिकारियों का भी है काफी अभाव


बता दें कि रेशम कीट उद्योग लैंड से लैब तक के लिए है. यहां मलबरी रेशम कोकून तैयार होता है, लेकिन इसका बाजार बंगाल में हैं, जहां इसे बेचकर किसान को इसका  लाभ मिलता है. यहां अधिकारियों का भी काफी अभाव है. अगर, इस जगह का विकास होता तो यहां से हजारों किसान को इसका लाभ मिल सकता है.


विभाग उपलब्ध करा सकती है रोजगार


वहीं, जीएम उद्योग विभाग की अधिकारी प्रकाश चौधरी का कहना है कि जो इक्छुक किसान थे, हमने उनमें से दो सौ लोगों का चयन करके अपने पास रखा हुआ है. अधिकतर कंडीडेट एससी-एस्टी के लोग हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक उनको किसी तरह का लाभ नहीं मिल सका है. विभाग चाहेगी और हमलोगों को अनुदान देगी तो हमलोग उसके विकास के लिए काम करेंगे. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि विभाग चाहेगी तो रोजगार उपलब्ध हो सकता है.


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