पटना: पिछले 3 दिसंबर को नालंदा जिले के रहुई थाना अंतर्गत पेसौर गांव में उस समय अफरा तफरी मच गई जब गांव निवासी सुधा देवी की दोनों बेटियों ने चाय बनाने के लिए लाइटर से चूल्हा जलाया और आग लग गई. बताया जाता है कि अहले सुबह जब दोनों बहनों के माता-पिता खेत पर काम करने गए थे तब वे चाय बना रही थी. इसी क्रम में जैसे ही उन्होंने गैस चूल्हा जलाना चाहा तो आग लग गई.
आग लगने के बाद दोनों बच्ची बचाओ बचाओ चिल्लाने लगीं. तभी सैनिक स्कूल पुरुलिया बंगाल का छात्र अमित राज जो उसी गांव पेसौर का रहने वाला था और सुबह में टहलने जा रहा था, आवाज को सुनकर दौड़ा और उस घर में पहुंचा जहां आग लगी थी. वहां पहुंच कर दोनों बहनों को तो उसने अपनी जान पर खेल कर बचा लिया, परंतु खुद बुरी तरह से आग में झुलस गया.
आग में झुलसने के बाद उसे तुरंत बिहारशरीफ रेफर किया गया, जहां स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए उसे पटना भेज दिया गया. हालांकि, वहां भी स्थिति में सुधार नहीं आने की वजह से उसे सैनिक स्कूल के सहयोग से एयर एंबुलेंस द्वारा दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 3 दिनों तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करते हुए उसने 13 दिसम्बर को दम तोड़ दिया. भले ही 15 वर्षीय अमित राज के मृत्यु हो गई हो, लेकिन अपनी जान देकर जो उसने दो जिंदगियां बचाईं इस वजह से उसकी बहादुरी की चर्चा जोरों पर है.
अमित राज के माता-पिता जहां बेटे के मौत से दुखी हैं. वहीं दूसरी ओर उन्हें इस बात पर गर्व भी हैं कि उनका बेटा जो सैनिक का स्कूल का छात्र था, उसने एक सैनिक की तरह वीरता का परिचय देते हुए अपनी जान पर खेलकर दो बच्चियों की जिंदगी बचाई. ऐसे में उनका कहना है कि उनके बेटे को सरकार वीरता पुरस्कार से नवाजे.
बता दें कि अमित के परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. उसके पिता भूषण कुमार मुंबई में 5000 रुपये के मासिक पर नौकरी करते हैं. हालांकि, अमित की बहन राखी कुमारी ने कहा कि उसे अपने भाई पर नाज है, जिसने अपनी जान की बाजी लगाकर दो जिंदगियां बचाई है. उसके भाई की वीरता का अगर कोई पुरस्कार देने चाहता है तो उसे शौर्य का पुरस्कार दिया जाए. उन्हें किसी प्रकार के आर्थिक मदद की आवश्यकता नहीं है.
इधर, जिन दो बच्चियों की जान अमित ने बचाई उसकी मां का कहना है कि जिस बेटे ने अपनी जान की परवाह किए बगैर उनकी दो बेटियों का जान बचाई है उसे सरकार एक सैनिक की तरह सम्मान दें और उनके परिवार को आर्थिक मदद के साथ-साथ सरकारी नौकरी दी जाए.