Samaj Sudhaar Abhiyan: समाज सुधार अभियान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे ये काम, भरे मंच से किया एलान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, " शराबबंदी कानून को लागू करने के दौरान केके पाठक को जिम्मेदारी सौंपी गई.आज भी केके पाठक ही इसकी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. आज भी ये अच्छा काम कर रहे हैं."
पटना: समाज सुधार अभियान कार्यक्रम के तहत गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) प्रदेश के समस्तीपुर जिले में पहुंचे. यहां उन्होंने कार्यक्रम के तहत आयोजित सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि वे समाज सुधार अभियान के समपन्न होने के बाद समीक्षा यात्रा करेंगे, जिसमें सभी अधिकारी समेत एमएलए और एमपी भी अपनी बात रख सकेंगे. वहीं, शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law) की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभी मुझे लगता था कि ये जो शराबबंदी है, पता नहीं मैं इसे लागू कर पाऊंगा भी या नहीं.
पुराने दिनों को किया याद
पुराने दिनों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसे (शराबबंदी कानून) 1977 में कर्पूरी ठाकूर (Karpoori Thakur) ने लागू किया था. लेकिन उनके सरकार में से हट जाने के बाद दूसरे लोग आए और कानून को हटा दिया. ऐसे में मुझे भी डर लगता था कि इस कानून को लागू कर पाएंगे या नहीं. लेकिन इसी दौरान एसके मेमोरियल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने मांग किया कि शराब बंद कर दीजिए. मुझे सुनाई नहीं दिया लेकिन वो कुछ बोल रही थी. मैंने लोगों से पूछा कि क्या बोल रही हैं. तो लोगों ने बताया कि वे शराबबंदी की मांग कर रही हैं. ऐसे में हम वापस मंच पर गए और अगले कार्यकाल में कानून लागू करने की घोषणा कर दी.
मुख्यमंत्री ने केके पाठकी की तारीफ की
मुख्यमंत्री ने कहा, " कानून को लागू करने के दौरान केके पाठक को जिम्मेदारी सौंपी गई.आज भी केके पाठक ही इसकी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. आज भी ये अच्छा काम कर रहे हैं. कोई भी जब अच्छा अभियान चलाएगा तो उसमें कुछ खराब लोग होते ही हैं, जिसका काम है घचपच करना, उसमें खामिया निकालना. इसका नतीजा हुआ कि शराब बनाकार पिलाया गया और 40 लोग मर गए. इसके बाद हमने सोचा की फिर से एक बार इसके ऊपर अभियान चलाना जरूरी है."
लालू शासनकाल पर साधा निशाना
संबोधन के दौराना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू राज की याद दिलाई. उन्होंने कहा, " पहले क्या स्थिति थी, आप बताइये. कभी घर से बाहर लोग निकलते थे क्या? लोगों में एक डर रहता था. लोग डर के मारे बाहर नहीं निकलते थे. लेकिन अब कोई चिंता वाली बात नहीं है. जब हम सरकार में आए तो सबसे पहले महिलाओं के लिए काम किया. पंचायत चुनाव में महिलाओं को आरंक्षण दिया. लड़कियों को साइकिल दिया. वे घर से स्कूल जाने लगीं. मैट्रिक के बाद बाजार तक भी लड़कियां साइकिल चलाकर जाने लगी. फिर बाद में लड़कों ने भी मांग किया, उन्हें भी साइकिल दी गई.
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