Bihar Police Exam: सिपाही भर्ती परीक्षा में सेटिंग करने वाला था ये गैंग, 4 मुन्ना भाई गिरफ्तार, इतने रुपये में हुई थी सेटिंग
Samastipur News: पुलिस ने रोसड़ा अनुमंडल के विभूतिपुर थाना क्षेत्र के आसपास छापेमारी की थी. गैंग के पास से पुलिस ने परीक्षा में इस्तेमाल होने वाले कई उपकरण बरामद किए हैं.
समस्तीपुर: केंद्रीय चयन पार्षद (सिपाही भर्ती) पटना की ओर से एक, सात और 15 अक्टूबर को बिहार के सभी जिलों में परीक्षा हो रही है. परीक्षा को लेकर सॉल्वर गैंग और सेटर भी एक्टिव हो गए हैं. इस मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने सिपाही भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों को पास कराने वाले चार एग्जाम सेटर को उपकरण के साथ गिरफ्तार किया है. शनिवार (30 सितंबर) को एसपी कार्यालय में प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी गई.
पकड़े गए चारों एग्जाम सेटर उजियारपुर थाना क्षेत्र के मालती वार्ड नंबर छह निवासी संतोष कुमार उर्फ गुड्डू (30 वर्ष), कर्पूरीग्राम थाना क्षेत्र के कोनवाजितपुर वार्ड संख्या सात मनीष कुमार उर्फ संतोष (21 वर्ष), दलसिंहसराय थाना क्षेत्र के कमरांव वार्ड संख्या दस निवासी अंकित कुमार (21 वर्ष) और रोसड़ा थाना क्षेत्र के महरौल वार्ड संख्या पांच निवासी गौतम कुमार (27 वर्ष) शामिल हैं.
आरोपियों के पास से मिले कई उपकरण
पुलिस ने सभी आरोपियों के पास से 10 वॉकी-टॉकी, 20 वॉकी-टॉकी का एंटीना, 10 वॉकी-टॉकी चार्जर, 32 ब्लूटूथ मक्खी इयर फोन, 11 रिसिवर डिवाइस, तीन ब्लूटूथ इयरफोन लगी हुई गंजी, सात विभिन्न लोगों का हस्ताक्षर किया हुआ ब्लैंक चेक, विभिन्न छात्रों के एडमिट कार्ड एवं शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की मूल प्रति, चार पेन ड्राइव, चार मोबाइल फोन सहित कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए गए हैं.
बताए गए जगहों पर छापेमारी कर एग्जाम सेटर गिरफ्तार
दरअसल, इस मामले में पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी. एसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए डीएसपी शिवम कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया. पुलिस टीम ने रोसड़ा अनुमंडल के विभूतिपुर थाना क्षेत्र के आसपास छापेमारी कर चारों एग्जाम सेटर को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि परीक्षा से पहले इन लोगों को अभ्यर्थियों को सिस्टम उपलब्ध कराने के एवज में उनके मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र और 20-25 हजार रुपये मिले थे. परीक्षा समाप्ति के बाद 2-2.5 लाख रुपये एवं अंतिम चयन के बाद 5-7 लाख रुपये मिलने थे. काम के बाद अभ्यर्थियों से गारंटी के तौर पर लिए गए मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र को लौटाया जाना था. पूछताछ के दौरान इन लोगों से इस फर्जीवाड़ा गिरोह के अन्य लोगों की संलिप्ता के भी पुख्ता साक्ष्य मिले हैं.
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