मुंगेर: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के खिलाफ शुक्रवार को मुंगेर न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया गया है. यह मामला जेडीयू सांसद द्वारा दिए गए मटन चावल पार्टी को लेकर टिप्पणी से जुड़ा है. इससे पूर्व जेडीयू जिलाध्यक्ष ने सम्राट चौधरी को इस टिप्पणी पर लीगल नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था लेकिन मामले में असंतुष्ट जवाब मिलने के बाद मानहानि का केस दर्ज करवाया है.
मुकदमे में नचिकेता मंडल ने क्या आरोप लगाए?
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के विरुद्ध मुंगेर सीजीएम के न्यायालय में जेडीयू जिलाध्यक्ष नचिकेता मंडल ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने 15 मई को एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल में सांसद ललन सिंह द्वारा मुंगेर के पोलो मैदान में दौरान कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित सम्मान भोज में मटन चावल के साथ शराब परोसने का आरोप लगाया था. प्रदेश अध्यक्ष ने खुलेआम आरोप लगाया था कि जेडीयू एक ऐसी पार्टी है जो वोट लेने के लिए लोगों को मांस -भात के साथ शराब का सेवन कराते हुए वोट देने की अपील करती है.
लीगल नोटिस के 9 दिन बाद सम्राट चौधरी ने दिया था ये जवाब
सम्राट चौधरी के इस बयान पर 17 मई को जेडीयू की ओर से कानूनी नोटिस दी गई थी, जिसमें सम्राट चौधरी से सम्मान भोज के दौरान शराब परोसने का साक्ष्य प्रस्तुत करने अथवा विवादित बयान देने के लिए माफी मांगने का आग्रह करते हुए 15 दिनों के अंदर जवाब मांगा गया था और वाजिब जवाब नहीं देने पर केस करने की बात कही गई थी लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी सम्राट चौधरी द्वारा लीगल नोटिस के 9 दिन बाद जो जवाब दिया गया उसमें शराब परोसने का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया और ना ही विवादित बयान देने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी गई.
जेडीयू जिलाध्यक्ष ने लगाया छवि को खराब करने का आरोप
जेडीयू जिलाध्यक्ष नचिकेता मंडल ने आरोप लगाया कि इससे साफ है कि सम्राट चौधरी ने जेडीयू और खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की छवि को खराब करने की नियत से इस तरह की बयानबाजी की. इस केस के वकील राजकिशोर ने बताया कि सम्राट चौधरी द्वारा साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराने और माफी भी नहीं मांगने के बाद पार्टी के निर्देशानुसार जेडीयू जिलाध्यक्ष नचिकेता मंडल ने सम्राट चौधरी पर सीजीएम के न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया. वहीं नचिकेता मंडल जेडीयू जिलाध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को बोलने की आजादी है.
विकास कार्यों में जहां गड़बड़ी है वहां विपक्षी बोल सकते हैं लेकिन किसी की छवि को खराब करने की उद्देश्य से विवादित बयान पार्टी किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी. वह भी तब जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी को सख्ती से लागू कराया है और उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ताओं पर शराब परोसने का आरोप लगे.
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