पटना: दो अक्टूबर (भाषा) बिहार में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नीतीश कुमार सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित गणना पर असंतोष व्यक्त करते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि इसमें पिछले कुछ वर्षों में 'बदली हुई सामाजिक और आर्थिक वास्तविकताओं' को नहीं दर्शाया गया है. बिहार प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी ने जाति आधारित गणना कराए जाने को अपना समर्थन दिया था. उन्होंने कहा कि इस कवायद के आज सार्वजनिक किए गए निष्कर्षों का अध्ययन करने के बाद ही उनकी पार्टी टिप्पणी करेगी.


आंकड़े को लेकर सम्राट चौधरी बोले


विभिन्न समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को लेकर आंकड़े जारी नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर सम्राट चौधरी ने कहा कि कहा कि विभिन्न समुदायों की गणना के साथ-साथ यह भी सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए था कि किसका उत्थान हुआ और किसका नहीं, इसको भी जारी किया जाना चाहिए था. बिहार सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 फीसदी से ज्यादा है.


महागठबंधन को मिल सकता है फायदा!


ऐसा माना जा रहा है कि इस सर्वेक्षण को कराए जाने से राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन को राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना है, क्योंकि वे ओबीसी और ईबीसी के हितों की रक्षा करने का दावा करता है. बता दें कि नीतीश सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है.


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