(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Santosh Manjhi Security: संतोष मांझी को Y+ सिक्योरिटी मिली, क्या दलित नेताओं को सुरक्षा देकर 'सुरक्षित' हो रही BJP?
Bihar Politics: वाई प्लस सुरक्षा के तहत 11 सुरक्षाकर्मी हमेशा संतोष मांझी के साथ रहेंगे. इसमें दो एनएसजी कमांडो, दो पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर और सात पुलिसकर्मी की ड्यूटी रहेगी.
पटना: महागठबंधन से दूरी बनाकर चलने वाले नेताओं को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से लगातार सुरक्षा दी जा रही है. साल 2023 में संतोष मांझी (Santosh Manjhi) ऐसे चौथे नेता बन गए हैं जिन्हें सुरक्षा मिली है. बड़ी बात यह है कि चार नेताओं में तीन नेता दलित समाज से आते हैं जबकि एक पिछड़ा समाज से हैं. मंगलवार (4 जुलाई) को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री संतोष सुमन उर्फ संतोष मांझी को (दलित) को वाई प्लस सुरक्षा दी गई है. ऐसे में सवाल है कि क्या सुरक्षा देकर कहीं बीजेपी खुद सुरक्षित तो नहीं हो रही है?
मंत्री रहने के दौरान संतोष सुमन को Y+ की सुरक्षा प्रदान की गई थी लेकिन पद से हटने के बाद उनकी सुरक्षा खत्म हो गई. संतोष सुमन ने बीजेपी से गठबंधन कर लिया और अब उन्हें फिर से सुरक्षा दे दी गई है. Y+ सुरक्षा के तहत उनके साथ 11 सुरक्षाकर्मी रहेंगे. इसमें दो एनएसजी कमांडो, दो पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर और सात पुलिसकर्मी रहेंगे.
किस-किस को कब-कब मिली सुरक्षा?
महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बीजेपी लगातार छोटी-छोटी पार्टियों को अपने कब्जे में करने के प्रयास में लगी हुई है. बीजेपी बिहार के दलित नेताओं को खोना नहीं चाहती है. सबसे पहले 11 जनवरी 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा सदस्य चिराग पासवान (दलित) को जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी थी. चिराग के बाद 21 फरवरी 2023 को विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी (दलित) को वाई प्लस सुरक्षा दी गई. 9 मार्च 2013 को आरएलजेडी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को पहले वाई प्लस सुरक्षा दी गई थी और उसके दो महीने बाद 17 मई को जेड कैटेगरी की सुरक्षा दे दी गई. 20 अप्रैल को उपेंद्र कुशवाहा (पिछड़ा) अमित शाह से दिल्ली में मिले थे. अब संतोष सुमन जब बीजेपी में आ गए हैं तो उन्हें भी गृह मंत्रालय से सुरक्षा मिल गई है.
अब जानें किसे मिलती है विशेष सुरक्षा
भारत में वीवीआईपी लोगों को कई सुरक्षा एजेंसी द्वारा सिक्योरिटी दी जाती है. इसमें एसपीजी (SPG), एनएसजी (NSG), आईटीबीपी (ITBP) और सीआरपीएफ (CRPF) जैसी एजेंसियां शामिल हैं. इस सुरक्षा को लेने के लिए सरकार को एप्लीकेशन देना होता है. इसके बाद खुफिया एजेंसी व्यक्ति को होने वाले खतरे का अंदाजा लगाती है. इसके बाद ही तय होता है. गृह सचिव, डायरेक्टर जनरल और चीफ सेक्रेटरी की कमेटी तय करती है कि किस व्यक्ति को कौन सी सुरक्षा दी जाएगी.
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