पटना: छपरा में जहरीली शराब (Chhapra Liquor Case) से मौत के बाद प्रशासन और सरकार को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं. इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी खूब हो रही है. विपक्ष शराबबंदी को फेल बता रहा है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं है. वहीं, इस मामले की जांच के लिए सरकार ने एसआईटी (SIT) गठित की थी. एसआईटी ने कार्रवाई करते हुए इस मामले में नौ लोगों की गिरफ्तारी की है और 17 लोगों से पूछताछ कर रही है.
ऑपरेशन क्लिन ड्राइव तहत कार्रवाई
एसआईटी छपरा शराब कांड मामले को लेकर एक्शन में दिख रही है. इससे संबंधित लोगों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है. साथ ही संदिग्धों को चिह्नित करने में जुटी हुई है. छपरा शराब कांड में जांच के लिए 'ऑपरेशन क्लिन ड्राइव' नाम रखा गया है. इस ऑपरेशन के तहत थानाध्यक्षों और चौकीदारों को कई निर्देश दिया गया है. डोर टू डोर सर्वे कर संग्रहित शराब को नष्ट किया जा रहा है. वहीं, 17 और 18 तारीख को प्रशासन ने अभियान चलाकर 26 भट्टी को ध्वस्त किया. इसके साथ ही 12155 लीटर अर्द्धनिर्मित शराब को विनष्ट किया है.
मद्य निधेष मंत्री ने सोमवार को दिया बयान
बता दें कि छपरा में जहरीली शराब से मौत के मामले पर खूब राजनीति हो रही है. वहीं, छपरा जहरीली शराब मामले को लेकर उत्पाद एवं मद्य निधेष मंत्री सुनील कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार में अब तक 38 मौतें हुईं हैं. जहरीली शराब से 80 मौतें नहीं हुई हैं. उन्होंने कहा कि शराब बेचना और पीना दोनों ही अपराध है. मरने पर मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं है. सुनील कुमार बोले कि अपराध करने पर मुआवजा नहीं मिलता है. जिन लोगों ने भी अपराध किया है उसपर कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा. इस बयान के बाद विपक्ष पर जमकर हंगामा किया. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को लेकर सरकार को हर तरफ से घेर रहा है.
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