भागलपुर: सावन माह शुरू होते ही सड़कों पर कांवड़ियों की भीड़ देखी जाती है. इस बार दो साल बाद विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का आयोजन किया गया है. इस श्रावणी मेले में कई अनोखे कांवड़ियों का अनोखा अंदाज देखने को मिल रहा है. ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला है सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ गंगा घाट पर, जहां कलयुग के 'श्रवण कुमार' अपने मां और पिता को भोले बाबा का दर्शन कराने के लिए कांवड़ में बैठाकर देवघर ले गए. उनके इस यात्रा में उनकी पत्नी रानी देवी भी बराबर की साथी हैं.
अपने माता-पिता को बाबा भोलेनाथ का दर्शन कराने देवघर ले जा रहे चंदन कुमार ने कहा कि उनके मन में ख्याल आया कि क्यों नहीं हम अपने पिता जगन्नाथ साह और माता मीना देवी को तीर्थाटन करवाएं. चंदन ने बताया कि कांवड़ में बैठाकर कांधे पर उठाकर चलने का माता-पिता ने पहले विरोध किया था. उन्होंने कहा कि हम लोग काफी वजनदार हैं, तुम कैसे हम दोनों को अपने कंधे पर लेकर इतनी दूर यात्रा तय करोगे? हालांकि, बेटे ने उन्हें समझाया और आखिरकार अपने माता-पिता को सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर को रवाना हो गए. चंदन कुमार ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बड़ा ना ही कोई धर्म है और ना ही पूजा. वहीं माता-पिता ने कहा कि बाबा भोलेनाथ सभी को मेरे जैसा पुत्र दे.
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पति चंदन को सहारा दे रही पत्नी रानी
वहीं, इस यात्रा में चंदन की पत्नी रानी देवी भी उनकी बराबर की साथी हैं. वो इस सफर में अपने पति चंदन को सहारा दे रही हैं. उन्होंने बताया कि अपने तीन बच्चों के साथ मिलकर अपने सास-ससुर को सुल्तानगंज से गंगाजल भरने के बाद अपने कांधे पर लेकर देवघर जा रहे हैं. सास-ससुर के लिए एक बेटी का फर्ज अदा कर रही चंदन कुमार की पत्नी रानी देवी की भक्ति भाव की काफी सराहना हो रही है. चंदन ने बताया कि वे जहानाबाद जिले के घोसी प्रखंड के वीरपुर केवाली गांव के रहने वाले हैं.
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