पटना: हिंदी के श्रावण महीने की आज पहली सोमवारी है. आज का दिन भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए बड़ा दिन है. जो महिलाएं या युवतियां सोमवारी का व्रत करती हैं उनके लिए विशेष फलदायी का दिन माना जाता है. इस वर्ष आठ सोमवारी का व्रत है क्योंकि अधिकमास महीना भी चल रहा है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अधिकमास महीने में भगवान विष्णु का वास होता है और भगवान भोलेनाथ के आराध्य देव भगवान विष्णु हैं. ऐसे में जो लोग आठ सोमवारी का व्रत करते हैं उनके लिए विशेष फलदायी है. आज पटना के शिवालयों में पहली सोमवारी पर काफी भीड़ उमड़ी. सुबह से ही जल चढ़ाने के लिए भक्तों की भीड़ दिखी.
क्यों किया जाता है सोमवारी का व्रत?
पटना के विद्वान पंडित अयोध्या शरण ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार श्रावण महीने की पहली सोमवारी के दिन ही समुद्र मंथन से जो विष निकला था उसे भगवान भोलेनाथ ने भक्तों की रक्षा के लिए पी लिया था. इसके बाद उनके कंठ में जलन होने लगी थी. उनका कंठ नीला हो गया था जिस वजह से भक्त भगवान भोलेनाथ को नीलकंठ भी कहने लगे.
पंडित अयोध्या शरण के अनुसार उनकी जलन गंगाजल से शांत होती है इसलिए भक्त भोलेनाथ पर गंगाजल चढ़ाते हैं. शास्त्रों में लिखा हुआ है 'जलधारा शिवम प्रियम' अर्थात भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय गंगाजल है. इसके साथ भोलेनाथ की पूजा करने के लिए भक्त बेलपत्र चढ़ाते हैं. बेलपत्र का प्रभाव ठंडा होता है और वह भी विष नाशक है. बेलपत्र चढ़ाने से भी भगवान भोलेनाथ को शांति मिलती है. बेलपत्र में अष्टगंध या चंदन से राम राम लिखकर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है. पंडित अयोध्या शरण कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ के आराध्य देव भगवान विष्णु हैं और वह हमेशा भगवान विष्णु का नाम लेते रहते हैं इसलिए जो भी भक्त बेलपत्र में राम लिखते हैं उससे भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा पुष्प, चंदन, अष्टगंध, भांग, धतूरा आदि से भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए. भक्तों को सावन महीने के सभी सोमवार को व्रत करना चाहिए.
घर में बनी रहेगी सुख-शांति
पंडित अयोध्या शरण ने बताया कि इस बार अधिकमास मिलाकर कुल 59 दिनों में आठ सोमवार के व्रत होंगे. अगर कुंवारी लड़कियां हर सोमवार को व्रत करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलेगा. वहीं जो महिलाएं सभी सोमवारी करती हैं तो उनके पति और संतान दीर्घायु होंगे. घर में सुख शांति बनी रहेगी.
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