पटना: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन हंगामेदार रहा. सदन में विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के नेता भी अपनी ही सरकार को घेरते नजर आए. जेडीयू कोटे से मंत्री बनाए गए जयंत राज (Jayant Raj) बीजेपी विधायकों की टारगेट पर रहे. विधायकों ने ऐसे-ऐसे सवाल किए कि ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री असहज हो गए. हालांकि, ये सब देखकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) खीज गए और सदन में तत्काल ही अपने मंत्री के बचाव में खड़े हो गए. उन्होंने सवाल पूछने वाले विधायकों को फटकार लगाई. साथ ही उनसे काम काज का हिसाब भी मांगा.
मुख्यमंत्री ने कही ये बात
नीतीश कुमार ने कहा, " सवाल उठाने वाले सभी तीन लोग जब मंत्री थे, तब क्या व्यवस्था थी? ये भी उनको बताना चाहिए. हमने पहले ही ये निर्देश दे रखा है कि एमएलए और एमपी सबों को सूचना देनी है. नाम भी शिलापट्ट पर लिखना है. बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा (Nitish Mishra) को देखते हुए उन्होंने कहा कि सबसे लंबा भाषण जो दे रहे थे, वो खुद ही मंत्री थे. वो अपना हिसाब दें."
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीजेपी के विधायक संजय सरावगी (Sanjay Saraogi) के बाद बीजेपी के ही दूसरे विधायक नीतीश मिश्रा ने मंत्री जयंत राज को निशाने पर लिया था. उन्होंने विधायकों को उनके क्षेत्र में सड़कों के निर्माण की जानकारी अधिकारियों की तरफ से नहीं दिए जाने और उद्घटान समारोह में नहीं बुलाए जाने का सवाल उठाया. जेडीयू कोटे के मंत्री को घिरता देख खुद बिहार के सीएम नीतीश कुमार सामने आए और उक्त सभी बातें कहीं.
संजय सरावगी ने कही थी ये बात
बता दें कि संजय सरावगी ने भी भ्रष्टाचार से जुड़े सवाल कर कर मंत्री जयंत राज की बोलती बंद कर दी थी. दरअसल, सरावगी ने सदन में सवाल किया था कि दरभंगा के आरईओ के अधीक्षक अभियंता पैसे के साथ अगस्त महीने में ही मुजफ्फरपुर पुलिस के हाथो पकड़े गए था. उनके ठिकानों पर छापेमारी हुई और 67 लाख रुपये भी बरामद हुए. फिर भी वे दो महीने तक पद पर बने रहे.
बीजेपी विधायक ने पूछा कि क्या अधीक्षक अभियंता की पहुंच ऊपर तक थी, इसी वजह से उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई? भ्रष्ट इंजीनियर को बचाने पर किए गए सवाल पर ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री जयंत राज की बोलती बंद हो गई.
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