(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Elections 2024: लोकसभा चुनाव में सीमांचल से तय होगा बहुत कुछ! इस महीने बढ़ेगी गहमागहमी, समझिए 'प्लान'
Lok Sabha Elections 2024: पिछले लोकसभा चुनाव से इस चुनाव में प्रदेश की सियासी तस्वीर बदली हुई है. सीमांचल का इलाका मुस्लिम बहुल है. अपनी खोई जमीन की तलाश में सीमांचल इलाके पर कांग्रेस की नजर है.
पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर इस महीने सीमांचल में गहमागहमी शुरू होने वाली है. सीमांचल में हार जीत से बहुत कुछ तय हो सकता है. ऐसे में सभी दलों के लिए लोकसभा चुनाव को लेकर सीमांचल का इलाका प्राथमिकता सूची में है. सबके अपने-अपने प्लान हैं. इस महीने के अंत में सीमांचल में बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेता नजर आएंगे.
राहुल गांधी की है भारत जोड़ो यात्रा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' 29 जनवरी को सीमांचल के किशनगंज के रास्ते बिहार में प्रवेश करेगी. राहुल की यात्रा 30 जनवरी को सीमांचल के पूर्णिया पहुंचेगी, जहां वे एक विशाल रैली को संबोधित करेंगे और लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान की भी शुरुआत करेंगे. रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भी शामिल होने की संभावना है. इसके बाद 31 जनवरी को कटिहार में रैली होगी. यह यात्रा एक फरवरी को अररिया होते हुए झारखंड में प्रवेश कर जाएगी.
30 जनवरी को जेपी नड्डा शुरू करेंगे चुनाव अभियान
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी 30 जनवरी को कटिहार में चुनावी अभियान शुरू करेंगे. वे बीजेपी की ओर से चार लोकसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं यानी पूर्णिया क्लस्टर में आने वाले संसदीय क्षेत्र की रैली को संबोधित करेंगे.
2019 में कैसा रहा था इन इलाकों से सीटों का हाल?
पिछले लोकसभा चुनाव से इस चुनाव में प्रदेश की सियासी तस्वीर बदली हुई है. पिछले चुनाव में जदयू एनडीए के साथ थी जबकि अभी जेडीयू इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टी है. वर्ष 2019 में जेडीयू ने कटिहार एवं पूर्णिया संसदीय क्षेत्र पर जीत हासिल की थी. अररिया संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने परचम लहराया था, जबकि किशनगंज कांग्रेस के हिस्से में गई थी.
पिछले चुनाव में एनडीए ने बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में बीजेपी उसी इतिहास को फिर से दोहराने को लेकर जहां सीमांचल पर जोर लगाए हुए है वहीं कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक को जोड़ने की कोशिश में है. उल्लेखनीय है कि सीमांचल का इलाका मुस्लिम बहुल है. अपनी खोई जमीन की तलाश में सीमांचल इलाके पर कांग्रेस की नजर है.
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