बिहार के कटिहार में वैसे तो हर साल बाढ़ आती है और सैकड़ों एकड़ जमीन नदी में समा जाती है. गंगा-कोसी और महानंदा नदी के पानी से लाखों लोग प्रभावित होते हैं. हर साल की तरह इस बार भी बाढ़ आने से पूर्व गंगा-कोसी के संगम स्थल के समीप कुर्सेला प्रखंड के दक्षिणी मुरादपुर के दर्जनों गांव की खेती की जमीन कटाव के चपेट में आ गया है. प्रतिदिन भीषण कटाव हो रहा है. 


नदी किनारे घनी आबादी बसती है, लोग भयभीत हैं. कटाव स्थल से मात्र महज 100 मीटर की दूरी पर कई ऐसे गांव हैं जैसे- पत्थर टोला - निषाद टोला - खेरिया - मंडल टोला - खेरिया यादव टोला - बालू टोला - तीनघड़िया - नवटोलिया - मजदिया - मलिनीया - कमलाकान्ही, जिसकी कुल आबादी लगभग 50 हजार के करीब है. लोगों की खेती की जमीन के साथ साथ अब रहने की जमीन पर भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. 


मौके का जायजा लेने पहुंचे जिलाधिकारी


ऐसे में हो रहे भीषण कटाव की सूचना पर जिलाधिकारी उदयन मिश्रा खुद अपने टीम के साथ निरीक्षण करने गंगा- कोसी नदी के किनारे पहुंच गए और कटाव क्षेत्र का जायजा खुद नाव पर सवार होकर घूमकर लिया. जिलाधिकारी ने फ्लड डिवीजन के डिविजनल एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं. उनको तत्काल निर्देशित करते हुए आदेश दिया है कि फ्लड निरोधक जो कार्यवाही होती है वो आज से प्रारंभ करेंगे और इसमें आगे जो भी बड़े काम करने होंगे उसके लिए भी पत्राचार चीफ इंजीनियर हैं और विभाग के जो सचिव हैं. उनको भी खुद के माध्यम से किया जाएगा और फिलहाल हमलोग 3 से 4 दिन में कटाव निरोधी कार्य जो प्राइमरी काम है वह हो जाए. 


लोगों को हो रही है भारी परेशानी 


स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधि की माने तो बाढ़ हर साल आती है. कटाव हर साल होता है लेकिन बाढ़ कटाव के नाम पर सरकारी तंत्र से किया गया करोड़ों रूपये का काम बेकार चला जाता है. जिनकी जमीन कटाव के चलते नदी में समाता जा रहा है अब इनको इनके परिवार वालों के सामने जीविकोपार्जन की समस्या उत्पन्न हो गई है. सभी मजबूर होकर रोजी रोजगार के लिए दिल्ली- पंजाब जाने का मन बनाने लगे हैं.


सरकार और प्रशासन से नाराज हैं ग्रामीण 


कुछ ग्रामीण तो गंगा किनारे ही सरकार और प्रशासन के खिलाफ धरना- प्रदर्शन करने को उतारू हैं, ऐसे में जिलाधिकारी का कटाव स्थल पर आना, नाव पर सवार होकर सभी कटाव स्थलों का घूम घूमकर निरीक्षण करना और ऑन द स्पोर्ट संबंधित अधिकारियों को अविलंब कटाव निरोधक कार्य को शुरू करने का निर्देश देना और तत्काल कटाव को रोक लिये जाने का आश्वाशन देना क्षेत्र के ग्रामीण- किसानों के लिये सुखदाई है. 


अब देखना है कि जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद अब इन बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों की बची हुई खेती की जमीन का कटाव रुक पाता है या नहीं. डरे - सहमे ग्रामीणों का, किसानों का घर गंगा - कोसी के कटाव से रुक पाता है या नहीं या फिर हर साल की तरह इस बार भी निराशा ही हाथ लगती है. 


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