Sharda Sinha News: बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार (05 नवंबर) की शाम दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. उनके जाने से देशभर में शोक है. वे जब से बीमार हुईं तब से उनकी तबीयत को लेकर राजनीतिक चेहरों ने हालचाल जानने की कोशिश की. चिराग पासवान, गिरिराज सिंह से लेकर खुद पीएम नरेंद्र मोदी तक ने उनका कुशलक्षेम पूछा. माना जाता है कि वे कलाकार होने के चलते राजनीतिक लोगों के करीब थीं लेकिन क्या शारदा सिन्हा कभी पॉलिटिक्स में आना चाहती थीं? एबीपी न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में इस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी थी.
शारदा सिन्हा ने कहा था, "राजनीति एक जमाने में अच्छी चीज थी लेकिन अब मैली हो गई है. विधान परिषद या राज्यसभा में नॉमिनेट किया जाता है. दूसरे राज्यों में कलाकारों को नॉमिनेट किया गया है. लता जी और रेखा जी भी नॉमिनेट होकर गईं. बिहार सरकार की तरफ से कोई कोशिश नहीं की गई कि कलाकारों की आवाज पहुंचा सकें."
उनसे जब सवाल किया गया कि चुनाव लड़ने की चाहत थी? इसके जवाब में उन्होंने कहा था नहीं. उन्होंने कहा था कि कलाकार होने के नाते उसी में रहने की कोशिश रही है. इन दिनों जिस तरह से चुनाव होने लगे हैं, तरीका बदल गया है. जबरदस्ती का चुनाव हो गया है. बता दें कि शारदा सिन्हा चुनाव आयोग की ब्रांड एंबेसडर रही थीं.
पलटीमार नहीं... स्थिर सरकार चाहती थीं शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा ने बिना किसी का नाम नहीं लिए कहा था कि स्थिर सरकार रहती है तो अच्छा होता है. इससे बिहार का भला होगा. शारदा सिन्हा ने एबीपी न्यूज़ के इंटरव्यू में सवाल भी उठाया था कि जब बिहार में सबकुछ है तो सत्ता की इतनी पूजा क्यों?
चिराग और तेजस्वी में शारदा सिन्हा को दिखता था भविष्य
शारदा सिन्हा भले राजनीति से दूर रही हों लेकिन वे चिराग पासवान और तेजस्वी यादव में भविष्य देखती थीं. उन्होंने कहा था, "अगर बेहतर काम करें तो चिराग पासवान हों या तेजस्वी यादव बिहार को बखूबी संभाल सकते हैं. बड़े से सही अनुभव और अपनी दूरदर्शिता रखें तो बिल्कुल कर सकते हैं. युवाओं में ताकत होती है."
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