पटना: शारदीय नवरात्र 2022 (Shardiya Navratri 2022) का शुभारंभ आज से हो रहा है. आज पहले दिन कलश की स्थापना की जाएगी और चार अक्टूबर यानी नवमी के दिन कलश विसर्जन के साथ नवरात्रि समाप्त होगी. आज देवी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री (Navratri Shailputri) की पूजा होगी. मां शैलपुत्री अनंत शक्तियों से संपन्न देवी हैं. पुराणों के अनुसार मां सती के अग्नि में भस्म हो जाने के बाद दूसरे जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में शैलपुत्री का जन्म हुआ. यहीं माता भगवान शंकर से शादी करने के बाद देवी पार्वती के रूप में परिवर्तित हुईं. मनुष्य को मां शैलपुत्री के इस मंत्र का जाप करने से अनंत शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है. वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌॥


पटना के राम जानकी मंदिर के पुजारी पंडित राम सुंदर शरण ने कहा कि इस बार नवरात्र पूरे 9 दिनों का है. कोई भी तिथि लुप्त नहीं है. 26 सितंबर को पूरे दिन कलश स्थापना का शुभ योग है. सुबह 7:03 बजे उत्तरा फाल्गुन नक्षत्र प्रवेश कर रहा है जो पूरे दिन रहेगा. यह नक्षत्र बहुत ही शुभ माना गया है. सुबह 9:41 से 11:58 बजे का समय शुभ योग माना गया है. इस समय में वृश्चिक लग्न है. यह स्थिर लग्न है. पूजा पाठ के लिए शांति का प्रतीक लग्न माना जाता है. इस अवधि में पूजा करना ज्यादा शुभ माना गया है. वैसे पूरा दिन कलश स्थापना के लिए शुभ है. उन्होंने कहा कि इस बार नवरात्रि में माता का आगमन हाथी पर हो रहा है जो शुभ संकेत का प्रतीक है. अधिक बारिश होने का संकेत देता है. माता  की विदाई मुर्गा पर हो रही है जो पंचांग के अनुसार अशुभ माना जाता है.


प्रसिद्ध शक्तिपीठ पटनदेवी मंदिर में क्या है तैयारी?


विश्व के 52 शक्तिपीठों में से एक मां पटनदेवी शक्तिपीठ मंदिर में शारदीय नवरात्र को लेकर विशेष तैयारी होती है. मंदिर के पुजारी विजय शंकर गिरी ने बताया कि सुबह 4 बजे मंदिर का पट खुलेगा और भक्त उस समय से दर्शन कर सकते हैं. 8:00 बजे माता का स्नान पूजा और वस्त्र बदला जाएगा. 11 बजे के आसपास माता को आसन पर लाया जाएगा और उसी वक्त कलश स्थापना के साथ विधिवत पूजा होगी. दो बजे पहली आरती होगी और तीन बजे दूसरी आरती होने के साथ नवरात्र के पहले दिन की पूजा समाप्त होगी.


11 बजे से तीन बजे तक श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश बंद रहेगा. बाहर से श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं लेकिन नारियल नहीं चढ़ा सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार, माता सती को विष्णु भगवान द्वारा सुदर्शन चक्र से क्षत-विक्षत किए जाने के बाद 52 स्थानों पर माता का अंग कटकर गिरा था जिसमें माता का दाहिना जंघा पटना स्थित गरहा पर इलाके में गिरा था जिसे पटनदेवी मंदिर के नाम से जाना जाता है.


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