Lok Sabha Elections: कभी चित्तौड़गढ़ के नाम से मशहूर रहने वाला शिवहर लोकसभा सीट (Sheohar Lok Sabha Seat) अपने आप में खास है. इस सीट से बाहुबली नेता और शिवहर के पूर्व सांसद रहे आनंद मोहन (Anand Mohan) की पत्नी लवली आनंद (Lovely Anand) को लेकर माना जा रहा है कि उनका टिकट तय है. अभी बीते सोमवार को ही लवली आनंद ने जेडीयू की सदस्यता ली है और इससे संकेत साफ हो गए हैं कि इस बार जेडीयू से लवली आनंद चुनाव लड़ेंगी. समझिए शिवहर लोकसभा सीट का समीकरण और लवली आनंद के लिए कितना फिट बैठता है.
लवली आनंद के पति इस सीट से रह चुके हैं सांसद
बिहार में जातिगत राजनीति होती है. ऐसा कहा जा रहा है कि लवली आनंद ने जातीय समीकरण के अनुसार जेडीयू के सामने दो सीटों की मांग रखी थी. इसमें औरंगाबाद और शिवहर की सीट थी. औरंगाबाद सीट बीजेपी के खाते में चली गई है. लवली आनंद की दूसरी पसंद शिवहर लोकसभा सीट थी क्योंकि इस सीट पर उनके पति आनंद मोहन दो बार सांसद रह चुके हैं.
बदलते हालात में लवली आनंद के लिए इस सीट को निकालना बहुत ज्यादा आसान नहीं है तो नामुमकिन भी नहीं है. शिवहर में 1686215 वोटर्स हैं. इसमें पुरुष मतदाता 896691 और महिला मतदाताओं की संख्या 789456 है. अब जातीय समीकरण की बात करें तो शिवहर लोकसभा में सबसे अधिक वैश्य मतदाता हैं जो 25 फीसद के करीब हैं. दूसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर हैं जो करीब 18 फीसद हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा और पिछड़ा वोटर्स को जोड़ दिया जाए तो 30 से 35 फीसद के आसपास हैं. राजपूत वोटर 2 लाख के करीब हैं.
राजपूतों की संख्या कम लेकिन दबदबा बरकरार
शिवहर लोकसभा में राजपूत की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन इस लोकसभा में तीन विधायक राजपूत जाति से हैं. इसमें एक लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद भी हैं. संख्या भले कम है लेकिन राजपूतों का दबदबा शिवहर में आज भी बरकरार है. शिवहर लोकसभा सीट से लगातार 2009 से अब तक सांसद रहने वाली रमा देवी का टिकट कटना तय है. वह वैश्य समाज से आती हैं. अब अगर वैश्य समाज नाराज हुआ तो लवली आनंद के लिए रास्ता कठिन हो सकता है.
1999 के बाद इस क्षेत्र से राजपूतों के दबदबा में कमी हुई है. आनंद मोहन समता पार्टी से 1996 में और 1998 में दो बार सांसद रहे, लेकिन 1999 में उन्हें लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के मोहम्मद अनवारुल हक ने हराया था. हालांकि 2004 में फिर आरजेडी से राजपूत जाति के ही सीताराम सिंह सांसद बने थे. इसके बाद यह सीट वैश्य के खाते में चली गई.
शिवहर में दूसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर होने के कारण आरजेडी इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार देती है, लेकिन पिछले तीन चुनाव में विशेष फायदा नहीं दिखा है. 2019 में आरजेडी के उम्मीदवार फैसल अली को मात्र 268318 वोट मिले थे. बीजेपी की रमा देवी ने 340360 वोटों से जीत हासिल की थी. ऐसे में आरजेडी इस सीट पर किसी वैश्य समाज को टिकट देती है तो लवली आनंद के लिए बड़ी चुनौती होगी.
बता दें कि अभी हाल ही में पटना बीजेपी कार्यालय में अपनी उम्मीदवारी पेश करने पहुंचे वैश्य समाज से आने वाले बाबा अखिलेश्वर दास ने बताया था कि अगर वैश्य को टिकट नहीं दिया गया तो बीजेपी के अधिसंख्य वैश्य कार्यकर्ता इसका विरोध करेंगे. अगर यही स्थिति बनी रही तो लवली आनंद के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा.
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