बिहार के इस जिले में रोजाना चलती है 'शिक्षा एक्सप्रेस', स्कूली बच्चे होते हैं सवार, जानें- क्या है पूरा मामला?
स्कूल के प्रिंसीपल ने बताया कि इस प्रयोग से बच्चे रोज स्कूल आने लगे हैं और अब उनका मन पढ़ाई में भी लगने लगा है. शिक्षकों के सलाह के बाद स्कूल को ऐसा डिजाइन किया गया है.
गया: बिहार के गया जिले के गंजोई खुर्द गांव में रोजाना सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक 'शिक्षा एक्सप्रेस' चलती है, जिसपर स्कूली बच्चे सवारी करते हैं. लेकिन ये एक्सप्रेस उन्हें कहीं लेकर नहीं जाती. असलियत में ये एक्सप्रेस उनका स्कूल जहां वे रोज पढ़ने जाते हैं. दरअसल, गया जिले के टनकुप्पा प्रखण्ड के बहसा पिपरा पंचायत के गंजोई खुर्द गांव में राजकीयकृत मध्य विद्यालय को रेल की तर्ज पर डिजाइन गया है. इस ट्रेन को शिक्षा एक्सप्रेस का नाम दिया गया.
विद्यालय की इमारत को दूर से देखने पर ट्रेन का स्वरूप नजर आता है. कक्षाओं के प्रवेशद्वार को रेलगाड़ी की गेट की तरह रंग और रूप दिया गया है. साथ ही दीवारों पर खिड़कियों की आकृति बनाई गई है. बता दें कि लॉकडॉउन के दौरान जब सभी ट्रेनें बन्द थीं, उसी दौरान स्कूल भवन को ट्रेन का स्वरूप दिया गया है.
कोरोना काल में 11 महीने के बाद 1 मार्च से मध्य विद्यालय को खोला गया है. ऐसे में बच्चे काफी उत्साह से स्कूल पहुंचे और स्कूल के नए लुक को देखकर खुश हुए. बच्चे बताते हैं कि उन्होंने असलियत में ट्रेन नहीं देखा था. लेकिन अब उनके स्कूल को ट्रेन की तरह डिज़ाइन किया गया है, जिससे उनका ये सपने भी पूरा हो है.
इस संबंध में स्कूल के प्रिंसीपल ने बताया कि इस प्रयोग से बच्चे रोज स्कूल आने लगे हैं और अब उनका मन पढ़ाई में भी लगने लगा है. उन्होंने बताया कि सभी शिक्षकों ने इसके लिए लॉकडॉउन की अवधि में आपस में विचार विमर्श किया. उसके बाद यह आईडिया आया कि स्कूल भवन को ट्रेन का स्वरूप दिया जाए. उसके बाद यह निर्णय लिया गया है.
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