बक्सरः कोरोना की वजह से बिहार में फिलहाल मंदिरों के खोले जाने पर रोक है. इसकी वजह से बक्सर के रामरेखा घाट को भी जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए सील कर दिया है. हालांकि सावन की पहली सोमवारी के दिन जल चढ़ाने के लिए गेरुआ वस्त्राधारण किए कुछ श्रद्धालु तो पहुंचे लेकिन वह ना तो जल चढ़ा पाए और ना ही बाबा का दर्शन कर पाए. उन्हें ऐसे ही वापस लौटना पड़ा.
दरअसल, सावन चढ़ते ही बक्सर का रामरेखा घाट और बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ की नगरी ब्रह्मपुर धाम पूरी तरह से शिवमय हो जाता है. मिनी काशी के रूप में प्रसिद्ध यह नगरी शिव भक्तों की गहमागहमी से पूरे माह गुलजार नजर आता है. श्रद्धालु गंगा स्नान कर गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा ब्रह्मपुर के साथ-साथ गुप्ता धाम और अन्य शिवालयों के लिए प्रस्थान करते हैं, लेकिन इस साल भी सावन में प्रतिबंध की वजह से सन्नाटा ही रह गया है.
प्रबंध समिति के अध्यक्ष संजय कुमार पांडेय ने बताया कि सावन में मंदिर पूरी तरह से बंद रहेगा. केवल पुजारियों द्वारा सुबह व शाम मंदिर में आरती और भोग लगाया जाएगा. मुख्य प्रवेश द्वार के साथ-साथ निकास द्वार को भी पूरे सावन बंद रखा जाएगा.
भगवान सभी जगह, इसलिए घरों में ही करें पूजा
वहीं, एसडीएम केके उपाध्याय ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर सभी चौक चौराहों पर दंडाधिकारी लगाए गए हैं, जॉइंट आदेश के बाद देवालय बंद हैं. ऐसे में सभी से अपील है कि भीड़-भाड़ वाले जगहों पर इकट्ठा ना हों. सभी अपने अपने घरों में पूजा अर्चना करें. आस्था जीवन से जुड़ा है, जीवन सुरक्षित रहेगा तो सब कुछ ठीक रहेगा. भगवान सभी जगह हैं इसलिए घरों में ही पूजा-अर्चना करें.
कोरोना की वजह से 2 साल से कांवड़ यात्रा रद्द
बता दें कि कोरोना संक्रमण को लेकर बीते दो साल से कांवड़ यात्रा बंद है. बिहार के अलग-अलग जिलों से कांवड़ यात्री यहां आते थे. करीब चार से पांच लाख कांवड़ यात्री हर साल यहां पहुंचकर पूजा करते थे, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर की आहट को देखते हुए कांवड़ यात्रा रद्द करने के साथ मंदिरों को भी अभी बंद रखा गया है. इसकी वजह पांडा और दुकानदारों की कमाई पर भी असर पड़ा है.
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