Shyam Rajak News: श्याम रजक के आरजेडी से इस्तीफे की चर्चा खूब हो रही है वो लालू यादव के करीब माने जाते रहे हैं. साथ ही आरजेडी के कद्दवार नेता रहे हैं. लालू यादव ने ही उन्हें पहली बार राजनीति में मौका दिया था. आरजेडी में उनकी पहचान बनी, लेकिन वो अपने सियासी सफर में पाला बदलते रहे हैं. जेडीयू में रहे जहां सीएम नीतीश ने उन्हें मंत्री बनाया था, लेकिन बाद में उन्होंने आरजेडी में वापसी की थी. श्याम रजक का सियासी सफर कैसा रहा? आइए जानते हैं.
आरजेडी में मिली थी राजनीतिक पहचान
श्याज रजक पहली बार 1995 में आरजेडी के टिकट से चुनावी एंट्री की थी. इसमें उन्हें जीत भी मिली. इसके बाद लगातार आरजेडी में बने रहे. छह बार उन्हें जीत मिली. पार्टी में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का पद मिला था. जून 2009 में रजक ने राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया. वे जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए और अखिल भारतीय धोबी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. नीतीश कुमार की सरकार में उन्हें मंत्री पद मिला.
सीएम नीतीश ने बनाया था मंत्री
2019 से 2020 तक श्याम रजक नीतीश सरकार में उद्योग मंत्री रहे. वहीं, 2020 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने जेडीयू में बगावत शुरू कर दी. अगस्त 2020 में वो मंत्री रहते जेडीयू से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर आरजेडी में शामिल हुए. बताया जाता है कि श्याम रजक को तेजस्वी यादव ने पार्टी में शामिल कराया था और पार्टी में बड़ी जिम्मेवारी दी थी. श्याम रजक को राष्ट्रीय महासचिव का पद सौंपा गया. वहीं, इस बीच तेज प्रताप यादव ने श्याम रजक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इसको लेकर बिहार में खूब सियासत हुई थी और मामला काफी चर्चा में रहा.
अब एक बार फिर शायराना अंदाज में आरजेडी पर निशाना साधते हुए श्याम रजक ने इस्तीफा दिया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वो जेडीयू में शामिल हो सकते हैं. कहा ये जा रहा रहा है कि आरजेडी ने उन्हें फुलवारी शरीफ से टिकट नहीं दिया और एमएलसी भी नहीं बनाया जिससे वो नाराज चल रहे थे. बता दें कि श्याम रजक ने एक से अधिक बार फुलवारी सीट का प्रतिनिधित्व किया है.
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